ईडी ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाले 10 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में पेश की चार्जशीट

इन्दौर (ईएमएस) पुलिस ने कोरोना काल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन इंदौर से लेकर सूरत तक बेचने के मामले में लिप्त आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

आरोपियों के खिलाफ ईडी ने अभियोजन शिकायत यानी प्रासिक्यूशन कम्प्लेंट्स के रूप में चार्जशीट पेश की है। इसमें 4 आरोपी इंदौर के और अन्य 6 आरोपी महाराष्ट्र और गुजरात के हैं। सूरत में स्थित एक फॉर्म हाउस में इन्होंने नकली इंजेक्शन बनाए थे जिन्हें मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में बेचा गया था जिसके चलती कई लोगों की मौत भी इन नकली इंजेक्शनों के कारण हो गई थी। कोरोना की दूसरी लहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते ऊंची दरों पर बेचे जा रहे थे तभी इस गिरोह ने ये नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन भी बनाकर बेच दिए थे और इनकी धरपकड़ इंदौर, सूरत सहित अन्य राज्यों की पुलिस ने की थी। विजय नगर थाने पर चार केस दर्ज हुए थे। ईडी ने एक करोड़ रुपए से अधिक नकद राशि भी इन आरोपियों से पूर्व में जब्त की थी।

ईडी ने लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर काली कमाई करने का गंभीर मामला इन आरोपियों के खिलाफ माना और फिर स्पेशल ईडी कोर्ट इंदौर में 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी। आरोपीयों में इंदौर निवासी असीम भाले रविन्द्र नगर, प्रवीण फुलके तुलसी नगर, धीरज सजनानी विजय नगर और दिनेश चौधरी भी विजय नगर निवासी शामिल है। जबकि अन्य 6 आरोपी गुजरात और महाराष्ट्र के हैं, जिनमें एक आरोपी जयदेव सिंह सूरत, जयेश भाई प्रमोद गोदावत अहमदाबाद, रमीज सैय्यद हुसैन भी अहमदाबाद और पुनित गुनवंतीलाल शाह ठाणे महाराष्ट्र तथा कौशल वोहरा सूरत निवासी है। वहीं एक और आरोपी सुनील मिश्रा मध्यप्रदेश के रीवा में रहता है। इंदौर पुलिस ने अप्रैल-मई-2021 में ये नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले को पकड़ा था और कुछ आरोपियों को उसी वक्त गिरफ्तार किया और फिर गुजरात, महाराष्ट्र ले जाकर उनसे पूछताछ की गई।

इंजेक्शन के ऊपर लगने वाले जाली स्टीकर से लेकर खाली शीशीयां और अन्य सामग्री भी बनाने, सप्लाय करने वालों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

इस गिरोह ने लगभग एक लाख नकली इंजेक्शन तैयार करने के लिए सामग्री जुटा ली थी। गिरोह के सदस्यों ने इन्दौर में ही 700 नकली इंजेक्शन बेच करोड़ों कमाए थे। मामले का भंडाफोड़ तब हुआ था जब इंदौर के एक अस्पताल में मरीज को इंजेक्शन देते वक्त डॉक्टर को ही शंका होने पर उसने इंजेक्शन की जांच करवाई थी, तो पता चला कि शीशी में रेमडेसिविर दवा की जगह नमक और ग्लूकोज मिलाकर भर दिया है। गिरोह में शामिल कुछ लोग मेडिकल लाइन से जुड़े थे और उन्हें पता था कि इंजेक्शन को थोड़ा गाढ़ा करने के लिए ग्लूकोज के साथ नमक मिलाना चाहिए। मगर कुछ इंजेक्शनों में सामान्य से ज्यादा नमक मिल गया और जब इंजेक्शनों की जांच कराई तो यह घोटाला सामने आया था।

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