उत्तर प्रदेश के 66 जिलों तक पहुंची आवास क्रांति, बाकी जल्द होंगे शामिल : डॉ. बलकार

(हेमेंद्र तोमर ) लखनऊ। बाजार से भी कम दाम पर घर चाहिए तो उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद आइए। आवास विकास परिषद सूबे के 66 जिलों तक पहुंच गया है, बाकी नौ जिलों में भी जल्द पहुंचेगा। साथ ही, आवास विकास की आगामी योजनाओं में निराश्रित गोवंशीय जीवों के लिए भी आश्रय स्थली या गौशाला का प्रावधान रखने पर विचार हो सकता है। ऐसे ही कुछ बातें उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी सरकारी कॉलोनाइजर संस्था अर्थात उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के आयुक्त डॉ बलकार सिंह ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कहीं।

उन्होंने कहा कि परिषद संपूर्ण उत्तर प्रदेश में आवासीय योजनाओं को चलाने के लिए अधिकृत सबसे बड़ी सरकारी व भरोसेमंद संस्था है। हमारी हर योजना में स्कूल, अस्पताल, कमर्शियल सेंटर्स, बेहतर पार्क, चौड़ी सड़कें, स्वच्छ पर्यावरण की व्यवस्था, सामुदायिक केंद्र, पर्याप्त पेयजल सुविधा, सुरक्षा, संसाधनों का अनुरक्षण, उत्तम सीवरेज आदि की व्यवस्थाएं मिलती हैं। यह सब तो हम देते ही हैं और सच कहूं तो कई बार हम अपनी संपत्ति के मूल्य को इतना कम रखते हैं कि मार्केट रेट को भी सस्ता कर देते हैं और इसका लाभ अंत में नागरिक को ही मिलता है। प्राइवेट कॉलोनाइजर से ही नहीं बल्कि हम सरकारी संस्थानों में भी सर्वश्रेष्ठ हैं क्योंकि प्राइवेट कॉलोनाइजर भी प्रायः हमसे जमीन लेना इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि हम अविवादित भूखंड उन्हें उपलब्ध जो कराते हैं।

डॉ बलकार सिंह ने कहा कि 1966 में परिषद की स्थापना हुई, जबकि 1975 में एक्ट के आधार पर विकास प्राधिकरणों की स्थापना हुई, लेकिन हमारे परिषद की उपलब्धियां एक मानक के रूप में हैं। गाजियाबाद की वसुंधरा व सिद्धार्थ विहार योजनाएं तो ऐसी हैं कि आप उसे परिषद द्वारा एक शहर बसा देने जैसा समझ सकते हैं। परिषद ने हमेशा से समाज के हर आय वर्ग के लिए आवश्यक संपत्ति उपलब्ध कराने का कार्य किया। ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी, एचआईजी आदि सभी के लिए हमने आवासीय व भूखंड संपत्ति उपलब्ध कराए हैं और कराते रहेंगे। हमारे कार्य को ही मानक मानकर प्रायः विकास प्राधिकरणों ने काफी कुछ सीखा और अपनाया। हालांकि आम नागरिकों को बहुत फायदा इससे मिला क्योंकि विकास प्राधिकरणों व प्राइवेट बिल्डर्स तथा कॉलोनाइजर्स के साथ परिषद की संपत्तियों का विकल्प उनके सामने आ गया।

एक अन्य सवाल के जवाब में डॉ सिंह ने कहा कि अयोध्या में परिषद की फ्लैगशिप योजना बहुत शानदार है। जहां मल्टी लेवल पार्किंग, होटल आदि के भूखंड हम को दे रहे हैं और मठों व आश्रमों को भी भूखंड अलॉट कर रहे ताकि सांस्कृतिक व धार्मिक विरासतों के लिए भी हम जनहित में अपना योगदान कर सकें। अभी दिवाली के दौरान हम लखनऊ के न्यू जेल रोड पर सौमित्र विहार योजना ला रहे हैं, जो प्रदेश की पहली ऐसी योजना है जिसमें 80 फ़ीसदी लैंड पूलिंग मोड से ली गई है। यह तेजी से परिणाम तक पहुंचने वाली प्रक्रिया है, जिसमें जमीन अधिग्रहण के समय हम मुआवजा नहीं देते बल्कि जमीनों को लेकर विकसित करके उसका कुछ भाग हम उन्हें अलॉट कर देते हैं। इसके अलावा प्रयागराज में भी 2000 एकड़ की नई टाउनशिप योजना गंगा जी के निकट लाने की है। वाराणसी में भी दो-तीन योजनाएं जल्दी ला रहे और हां, प्रदेश में जिस तरह एक्सप्रेस वे का अब एक बहुत बड़ा नेटवर्क है, उसके किनारे किनारे की भूमि पर भी परिषद आवासीय कॉलोनी बनाने के बारे में विचार कर रहा है। विशेष बात यह है कि प्रदेश के 75 जिलों में से 66 जिलों तक हमारी योजनाएं पहुंच चुकी हैं और बाकी के नौ जिलों में भी हम जल्द ही कॉलोनी विकसित करके कर ले जाएंगे। छोटे जिलों के लोगों को भी अपने जिलों में अच्छी कॉलोनी, बेहतर अवस्थापना सुविधाएं और स्कूल-अस्पताल भी चाहिए इसलिए हम यह सब करने जा रहे हैं।

लैंड बैंक बढ़ाने की होड़ में कृषि योग्य भूमि और दुधारू गोवंशीय जीवों के चारागाह को खत्म करते जाने के सवाल पर आवास आयुक्त ने कहा कि हमारा ध्यान हमेशा इस पर रहता है कि कृषकों की जमीन लेने के बाद हम उन्हें उनके कृषि जन्य व्यवसायों के लिए और पशुधन रखने के स्थान को, जिसको लाल डोरा कहते हैं, उसे तनिक भी डिस्टर्ब ना करें। वैसे भी मुख्यमंत्री जी के निर्देश के क्रम में और हमारे यूपी के अपने बाई लॉज के अनुरूप हम हाई राइज यानी ऊंचाई वाले ऊर्ध्व दिशा को उन्मुख बिल्डिंग निर्माण को प्राथमिकता देते हैं, न की क्षैतिज विस्तार को। रही बात हमारी अगली नई कॉलोनियों के विकास के लिए, तो हम विचार कर रहे हैं कि सीमित क्षेत्र में देसी दुधारू गोवंशीय जीवों के लिए गौआश्रय स्थल या गौशाला स्थापित की जाए, जिसका लाभ वहां के नागरिकों को मिले। एक समय के बाद हम कॉलोनी नगर निकायों को हस्तांतरित कर देते हैं तो उसको भी देखना है कि वह निर्बाध रूप से स्थापित रहे। यह भी परिषद का एक अभिनव प्रयास होगा।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भड़का तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक