उप-राष्ट्रपति चुनाव : साधारण पेन से क्यों नहीं डाल सकते वोट, क्या है स्पेशल स्याही का राज

Vice Presidential Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग चल रही है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले वोट किया. पीएम मोदी के बाद तमाम राज्यसभा और लोकसभा सदस्य अपना वोट डाल रहे हैं. इस चुनाव को गोपनीय बनाने के लिए एक खास तरह की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है. इसी स्याही वाली पेन से सांसद वोट कर सकते हैं. लोकसभा की पूर्व महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने इसे लेकर पूरी जानकारी दी है. आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग का पूरा प्रोसेस क्या होता है. 

इस खास पेन से डाले जाते हैं वोट

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एक खास पेन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे सांसद अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट करते हैं. लोकसभा की पूर्व महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने बताया कि पेन में एक विशेष प्रकार की स्याही होती है. यह इसलिए इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वोट की गोपनीयता भंग न हो जाए. सभी एक तरह के इंक और पेन से निशान लगाएंगे तो यह बात किसी को पता नहीं चल पाएगी कि किसने किसको वोट दिया है. चुनाव आयोग की तरफ से इस विशेष पेन से वोटिंग की व्यवस्था की गई है. अगर कोई उस पेन का इस्तेमाल नहीं करता है तो वह वोट अमान्य हो जाता है. 2017 में 11 वोट और 2022 में 15 वोट इसी वजह से अमान्य हो गए थे. 

  • 2017 में पहली बार इस स्पेशल पेन का इस्तेमाल राष्ट्रपति चुनाव में किया गया था
  • इस पेन की स्याही की खासियत है कि एक बार लिखे जाने के बाद इसे मिटाया नहीं जा सकता है
  • इस पेन से निशान लगाते वक्त स्याही फैलने का खतरा भी नहीं होता है. 
  • वोट डालने के बाद सांसदों से ये स्पेशल पेन ले लिया जाता है. 

कौन डालता है वोट?

उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य वोट कर सकते हैं. इसका सीधा मतलब है कि दोनों सदनों में जिस गठबंधन का बहुमत होता है, वही चुनाव में बाजी मारता है. आमतौर पर सत्ताधारी दल जिस उम्मीदवार को सपोर्ट करता है, वही इस पद के लिए चुना जाता है. इस बार कुल 781 सांसद वोटिंग में शामिल होंगे, जिसमें से 352 वोट जीत के लिए जरूरी होंगे. फिलहाल आंकड़ों के मामले में एनडीए ही आगे नजर आ रहा है. 

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए व्हिप जारी नहीं होता है, ऐसे में जरूरी नहीं है कि सांसद अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को वोट करें. इस चुनाव में अपनी मर्जी से सदस्य वोट डाल सकते हैं. 

कौन करवाता है वोटिंग?

राष्ट्रपति चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति होती है. इसके लिए राज्यसभा के महासचिव को चुना जाता है. इस बार पीसी मोदी को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया है, जिनकी देखरेख में पूरी वोटिंग करवाई जाएगी. संसद भवन में वोटिंग सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगी और इसके करीब दो घंटे बाद नतीजे सामने आ जाएंगे.

 कैसे होती है वोटिंग?

सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कराई जाती है. इसमें वोट करने वाले सांसद को वरीयता भी बतानी होती है, जैसे- अपनी पसंद के उम्मीदवार को पहली वरीयता में रखना होता है और उसके बाद दूसरी पसंद का नाम लिखा जाता है. सबसे पहले पहली प्राथिमकता वाले वोटों की ही गिनती होती है.

कैसे होती है वोटों की गिनती?

उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग पूरी होने के बाद सबसे पहले बैलेट पेपर से पर्ची निकालकर इन्हें वरीयता के हिसाब से अलग-अलग किया जाता है. किस उम्मीदवार को पहली वरीयता वाले कितने वोट मिले हैं, ये सबसे पहले देखा जाता है. यहां एक फॉर्मूला लगाया जाता है, जिसमें कुल पहली वीरयता वाले वोटों को 2 से भाग देकर उसमें एक जोड़ा जाता है, जो संख्या आती है उसे वो नंबर माना जाता है, जो किसी भी उम्मीदवार के रेस में बने रहने के लिए जरूरी है. इससे नीचे आने वाले उम्मीदवारों को काउंटिंग से बाहर कर दिया जाता है. 

आमतौर पर पहली गिनती के बाद ही तय हो जाता है कि जीत किसकी हुई है, अगर ऐसा नहीं हुआ तो दूसरी प्राथमिकता वाले वोटों को देखा जाता है. इसी के हिसाब से जीत और हार तय की जाती है. जीतने के बाद उपराष्ट्रपति या तो राष्ट्रपति के सामने या उनके नियुक्त किए गए व्यक्ति के सामने शपथ लेते हैं. 

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