
इस्लामाबाद । पाकिस्तान में हमेशा सेना, ब्यूरोक्रेसी से लेकर राजनीति तक में पंजाब सूबे का ही प्रभुत्व रहा है। इसे लेकर बलूचिस्तान में तो भारी विद्रोह रहा है और अकसर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जिनमें पंजाबी मूल के लोगों को टारगेट कर मारा जाता है। इस बीच एक और विवाद पाकिस्तान में खड़ा हो गया है। खैबर पख्तूनख्वा से लेकर सिंध प्रांत तक आटे की किल्लत हो गई है और दोनों राज्यों की सरकारें पंजाब पर आरोप लगा रही हैं कि उसने गेहूं का स्टॉक रोक रखा है। सप्लाई ना होने के चलते उनके राज्यों में आटे की किल्लत पैदा हो गई है।
इससे महंगाई बढ़ गई है और गरीब तबके के लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने गेहूं के अंतर-राज्यीय मूवमेंट के बाधित होने पर सवाल उठाया। सरकार ने कहा कि पंजाब की ओर से सप्लाई चेन पर ब्रेक लगाया गया है। इससे उनके राज्य में आटे के दाम बढ़ रहे हैं और खाद्य सुरक्षा संकट में है। इसके अलावा सिंध प्रांत की पीपीपी सरकार ने भी पंजाब पर हमला बोला है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सिंध प्रांत की सरकार का कहना है कि पंजाब प्रशासन ने गेहूं के बीज की सप्लाई ही रोक रखी है। इससे आने वाले फसल चक्र में गेहूं का उत्पादन सिंध में प्रभावित हो सकता है। खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने तो पंजाब को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि गेहूं की सप्लाई पर लगा ब्रेक हटाया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमारी खाद्य सुरक्षा खतरे में होगी। लेटर में कहा गया कि हमारे राज्य में गेहूं की कमी है। हम पंजाब पर निर्भर हैं और हमें प्रति दिन 14,500 टन गेहूं की जरूरत है। वहीं पख्तूनख्वा सरकार ने कहा कि ऐसी स्थिति में यदि पंजाब की ओर से सप्लाई चेन बाधित होगी तो हमारे यहां खाने की किल्लत हो जाएगी और बाजार में हाहाकार मच जाएगा। यही नहीं खैबर पख्तूख्वा की ओऱ से पाकिस्तान के संविधान का भी हवाला दिया गया है।
पख्तूनख्वा सरकार ने कहा कि संविधान इस बात की गारंटी देता है कि किसी भी वस्तु या उत्पादन का इंटर-स्टेट मूवमेंट होगा और उसे बाधित नहीं किया जा सकता।
राज्य सरकार ने कहा कि फिलहाल पंजाब की ओर से 2000 टन गेहूं की सप्लाई का कोटा हमारे लिए तय किया गया है, बेहद कम है। हमारी जरूरत तो इससे 7 गुना तक ज्यादा है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की ओर से कहा गया है कि हमने कई बार संदेश भेजा, लेकिन सप्लाई पर लगा बैन जस का तस है। ऐसा करना संविधान का उल्लंघन है। इस तरह के हालात में पंजाब में क्षेत्रीय सद्भाव भी खतरे में पड़ सकती है, जहां पहले ही पंजाब के प्रभुत्व को लेकर अन्य राज्यों में असंतोष रहा है।















