
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने बुधवार को ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने और उसे विनियमित करने के उद्देश्य से ऑनलाइन खेल संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 लोकसभा में पेश किया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा पेश किए गए इस विधेयक के दौरान विपक्षी दलों ने सदन में जोरदार हंगामा किया।
विपक्ष ने बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग करते हुए प्रदर्शन जारी रखा, जिसके कारण सदन में व्यवधान उत्पन्न हुआ। इस पर पीठासीन अधिकारी पीसी मोहन को सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
यह विधेयक ई-स्पोर्ट्स, शैक्षिक गेम्स और सामाजिक गेमिंग को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ समाज को ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए जैसी हानिकारक गतिविधियों से बचाने के उद्देश्य से लाया गया है। विधेयक के माध्यम से सरकार एक राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण की स्थापना करेगी, जो गेम्स की श्रेणीकरण, पंजीकरण, शिकायत निवारण और नियामक दिशा-निर्देश जारी करने जैसे कार्य करेगी।
सरकार ने कहा है कि इस विधेयक के माध्यम से युवाओं और परिवारों को वित्तीय और मानसिक संकट से बचाया जाएगा तथा डिजिटल क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया अभियान ने देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, लेकिन इसके साथ-साथ तकनीक के दुरुपयोग के खतरे भी बढ़े हैं। यह विधेयक उन खतरों से निपटने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह विधेयक देश को जिम्मेदार गेमिंग नीतियों और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करेगा।
विधेयक में क्या है खास-
प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में ई-स्पोर्ट्स को औपचारिक मान्यता दी जाएगी और इसके लिए प्रशिक्षण अकादमियों और तकनीकी प्लेटफॉर्म्स की स्थापना की जाएगी। ऐसे गेम्स को पंजीकृत किया जाएगा जो कौशल विकास, सांस्कृतिक मूल्यों और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देते हों। ऑनलाइन सट्टा, जुआ, फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर, रम्मी और अन्य पैसों वाले खेलों के संचालन, विज्ञापन और लेन-देन पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने पर तीन साल तक की सजा और एक करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। पुनरावृत्ति पर सजा और जुर्माना और कड़ा होगा। कंपनियों और उनके अधिकारियों को उत्तरदायी ठहराया जाएगा, जब तक कि वे पर्याप्त सतर्कता साबित न कर सकें।

संविधान संशोधन विधेयक पेश करने के दौरान लोकसभा में हंगामा, पेपर उछाले गए
लोकसभा में बुधवार को भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर मामलों में जेल में बंद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केन्द्र व राज्य सरकारों के मंत्रियों को राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा उपराज्यपाल द्वारा हटाए जाने से जुड़े तीन विधेयक पेश करने के दौरान हंगामा हुआ। विधेयक को पेश करने की अनुमति के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जैसे ही वक्तव्य दिया, विपक्ष की ओर से उनकी तरफ पेपर उछाले गए। इसके बाद कार्यवाही को तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025; केंद्रशासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 तीन विधेयक विचार के लिए रखे। विधेयक पेश किए जाने का एआईएमआईएम के असद्दुदीन औवेसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, सपा के धर्मेन्द्र यादव और कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने विरोध किया। इन्होंने इसे संविधान के बुनियादी ढांचे, मूलभूत सिद्धांत, संसदीय लोकतंत्र के विरोध में बताया।
अमित शाह ने इस दौरान विपक्षी सांसदों के आरोपों का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि विधेयक नैतिकता के मूल्य बने रहें, इसलिए लाया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे भी गुजरात में मंत्री रहने के दौरान जेल गए थे और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था। सभी आरोपों से मुक्त होने तक उन्होंने कोई संवैधानिक पद नहीं ग्रहण किया। साथ ही विधेयक को जल्दबाजी में लाए जाने पर शाह ने कहा कि विधेयकों को आगे विचार के लिए संयुक्त समिति को भेजा जाएगा।