ऑपरेशन शील्ड : जम्मू-कश्मीर, गुजरात समेत 6 राज्यों में मॉक ड्रिल, रेस्क्यू और ब्लैकआउट का अभ्यास

हवाई हमले, बम ब्लास्ट और आपात स्थिति से निपटने की तैयारी का परीक्षण

नई दिल्ली । देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और आपात स्थितियों में त्वरित कार्रवाई की तैयारी को परखने के लिए शनिवार को ऑपरेशन शील्ड के तहत छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मॉक ड्रिल की गई। इसमें जम्मू-कश्मीर, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ शामिल रहे।

ऑपरेशन शील्ड के तहत शनिवार को जम्मू-कश्मीर और गुजरात समेत 6 राज्यों में मॉक ड्रिल शाम 5 बजे शुरु की गई जो रात 9 बजे तक चली। रात में कुछ देर का ब्लैकआउट अभ्यास भी किया गया। ऑपरेशन शील्ड के तहत की गई मॉक ड्रिल का मकसद युद्ध या आतंकवादी हमलों जैसी गंभीर परिस्थितियों में नागरिक प्रशासन, पुलिस, फायर ब्रिगेड और मेडिकल सेवाओं की आपसी तालमेल और तत्परता का परीक्षण करना था।

जम्मू-कश्मीर में एयर स्ट्राइक की मॉक ड्रिल
जम्मू, अनंतनाग और बारामुल्ला सहित कई जिलों में मॉक ड्रिल की गई। जम्मू के अखनूर में एयर स्ट्राइक की स्थिति को दर्शाया गया। ब्लैकआउट के दौरान बिजली बंद कर दी गई और सभी जगहों पर रेस्क्यू और सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया गया।

गुजरात में हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रदर्शन
गुजरात के पाटण और वलसाड में सायरन बजाए गए और एयर स्ट्राइक की मॉक ड्रिल की गई। पाटण तहसील कार्यालय में आग लगने की घटना दर्शाई गई, जिसमें तीन लोगों के फंसे होने की सूचना पर दमकल और रेस्क्यू टीम ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला।

राजस्थान में धमाकों और बचाव अभियान की रिहर्सल
जयपुर, अजमेर, कोटा और सीकर जिलों में हवाई हमले की मॉक ड्रिल की गई। जयपुर के खातीपुरा क्षेत्र में अचानक धमाके और फायरिंग की स्थिति पैदा की गई। सीकर के कल्याण मेडिकल कॉलेज में भी चार धमाकों का मॉक सीन तैयार किया गया। घायल लोगों को रेस्क्यू कर फायर ब्रिगेड, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की मदद से बाहर निकाला गया।

हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में तत्काल रेस्पॉन्स
इन राज्यों में मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजते ही 30 सेकेंड के भीतर एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। जींद में मॉक ड्रिल के दौरान एक युवक की तबीयत बिगड़ने पर उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया।

सरकार के मुताबिक, ऐसी मॉक ड्रिल्स से न सिर्फ एजेंसियों की तैयारियों का मूल्यांकन होता है, बल्कि आम जनता में भी जागरूकता और आत्मविश्वास पैदा होता है कि किसी भी आपदा से निपटने में वे अकेले नहीं हैं।

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