ओबीसी आयोग नहीं बना तो क्या टल जाएगा पंचायत चुनाव ? यूपी में बढ़ी चुनावी अनिश्चितता

UP Panchayat Chunav: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव समय पर न होने की संभावना बढ़ गई है। इसकी बड़ी वजह है अभी तक पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को लेकर समर्पित आयोग का गठन न होना। यह आयोग अन्य पिछड़े वर्ग की सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक स्थिति का अध्ययन कर यूपी सरकार को रिपोर्ट देती है। जिसके बाद रिपोर्ट से पता किया जाता है की क्या उन्हें वाकई में उन्हे आरक्षण की आवश्यकता है या नहीं है। वही जब तक यह रिपोर्ट तैयार नहीं होती, तब तक ओबीसी आरक्षण का फार्मूला तय नहीं किया जा सकता, जिससे चुनाव प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।

वजह

जानकारों के मुताबिक, पंचायत चुनाव की तैयारियां तभी शुरू होंगी जब आयोग बनकर अपनी सिफारिशें सौंप देगा। अगर आयोग को रिपोर्ट तैयार करने में सामान्यतः लगने वाले छह महीने का समय लगता है, तो चुनाव तय समय से आगे खिसक सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में साफ कहा है कि बिना अध्ययन और रिपोर्ट के ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता।

अगले साल समाप्त होगा कार्यकाल

ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों का कार्यकाल क्रमशः अगले साल 26 मई, 19 जुलाई और 11 जुलाई को खत्म हो रहा है। यानी नए चुनाव अप्रैल-मई 2026 के आसपास होने चाहिए। लेकिन अगर आयोग का गठन देर से हुआ और उसने रिपोर्ट तैयार करने में अधिक समय लिया, तो चुनाव कार्यक्रम आगे बढ़ना तय है।

2014 के सर्वे पर आधारित हो सकती है रिपोर्ट

2011 की जनगणना के बाद 2014 में पिछड़े वर्ग की आबादी का एक रैपिड सर्वे हुआ था। आमतौर पर आयोग इन्हीं आंकड़ों का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। इसके लिए आयोग को जिलों में जाकर जांच करनी होती है, जिससे रिपोर्ट तैयार करने में समय लगता है। यही वजह है कि यदि प्रक्रिया जल्द शुरू नहीं हुई, तो चुनाव की तारीखों पर असर पड़ेगा।

सरकार के पास पहुंचा आयोग गठन का प्रस्ताव

पंचायतीराज विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समर्पित आयोग के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। अब अंतिम फैसला सरकार को लेना है। चुनाव की तिथियां और ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया पूरी तरह आयोग की रिपोर्ट पर निर्भर करेंगी। अगर रिपोर्ट समय से मिल गई तो पंचायत चुनाव अपने तय कार्यक्रम के करीब होंगे, वरना देरी तय मानी जा रही है।

ये रिपोर्ट क्यों बनती है ?

यह रिपोर्ट इसलिए बनती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को पंचायत चुनावों में आरक्षण की जरूरत कितनी है और किस अनुपात में दी जानी चाहिए।इस रिपोर्ट में आयोग यह अध्ययन करता है,ओबीसी वर्ग की आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक स्थिति क्या है। उनकी आबादी कितनी है और क्या उन्हें वाकई आरक्षण की  आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, बिना इस तरह के अध्ययन और रिपोर्ट के ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता। इसलिए हर बार पंचायत या निकाय चुनाव से पहले यह रिपोर्ट तैयार की जाती है।

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