
एशिया के सबसे अमीर शख्सों में से एक जैक मा, जिनकी कहानियां सुनकर कभी युवा प्रेरित होते थे. उनके तरह बनने के खवाब देखते थे. और सोचते हैं कि काश कभी हम भी इतने ही अमीर होते. पर आज वही युवा जैक मा को गाली दे रहे हैं. उसके मरने की दुआ मांग रहे हैं. इतना ज्यादा गुस्सा है कि एक व्यक्ति ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “जैक मा जैसे खरबपति को निश्चित तौर पर लैंप पोस्ट की चोटी पर लटका दिया जाएगा.’ और इस बात पर करीब डेढ़ लाख के लोगों के लाइक्स मिले वीचैट पर इसे 1 लाख से ज्यादा बार पढ़ा गया.
सिर्फ जैक मा ही नहीं बाकी के खबरपतियों पर भी युवाओं का गुस्सा फुट पड़ा है. और इसमें चीनी सरकार भी पूरा साथ दे रही है. जैक मा जैसे शख्स पर कोई भी देश गर्व करे पर चीन अपने ही देश के व्यपारी को मिटटी में मिलाने के लिए काम कर रहा है. फर्श से अर्श तक का सफर करने वाले जैक मा के लिए उनकी सरकार ही अब सर दर्द बन चुकी है.
दरअसल चीन की बड़ी आईटी कंपनियों में शामिल अलीबाबा की मुश्किलें अब बढ़ने वाली है. चीन की सरकार अलीबाबा ग्रुप पर मोनोपोली यानी एकाधिकार के गलत इस्तेमाल को लेकर छानबीन कर रही है. हालांकि अलीबाबा ने कहा है कि उन्हें एसएएमआर के जरिए एंट ग्रुप को भी नोटिस भी भेजा गया है. यह जैक-मा की ईकॉमर्स कंपनी अलीबाबा डॉट कॉम और फिनटेक के लिए बहुत बड़ा झटका है.
वेब साईट लाइव हिन्दुस्तान ने चीन की आधिकारिक न्यूज एजेंसी के हवाले से जानकारी दी की जैक मा की कम्पनी पर कार्यवाही करते हुए रेगुलेटर ने अलीबाबा ग्रुप पर एक विशेष डीलिंग एग्रीमेंट के लिए एकाधिकार का गलत इस्तेमाल किया है. इसकी तीन मेन वेबसाइट है टाउबाउ, टीमॉल और अलीबाबा डॉट कॉम. जिसको डुबाने के लिए चीनी सरकार और वहां की सरकारी एजेंसियां बखूबी काम रही ही दअरसल इससे पहले भी पिछले महीने नवंबर में चीन सरकार ने साजिश के तहत एंट ग्रुप के 37 अरब डॉलर के आईपीओ को खारिज कर दिया था. इसके लिए पूरा खेल रचा गया. और इन नाटक में जैक मा की कम्पनी को बहुत नुकसान हुआ. बता दें कि जैक-मा की इस कंपनी के IPO को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी और यह दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ था, लेकिन शंघाई और हॉन्गकॉन्ग के मार्केट में शेयरों की लिस्टिंग से सिर्फ 2 दिन पहले चीन की सरकार ने आईपीओ पर रोक लगा दी.
ये सारा खेल कब से शुरू हुआ ये भी बताते हैं. दरअसल जैक मा ने चीन के फाइनेंशियल रेग्युलेटर्स को लताड़ लगाते हुए कहा था कि वो रिस्क लेना कभी पसंद नहीं करते. सिर्फ यही नहीं उन्होंने बैंको पर भी आरोप लगाते हुए कहा था कि वो सिर्फ उन्हीं को उधार देते हैं जो बदले में कुछ गिरवी रखे. मतलब की बैंक की हालत सूदखोर सेठों जैसी है. इस बयान का असर हुआ ये कि अलीबाबा के खिलाफ ऐंटी ट्रस्ट इन्वेस्टिगेशन का एलान किया गया और रेग्युलेटरी एजेंसियों ने भी फरमान जारी कर दिया कि उनके अधिकारी ऐंट ग्रुप की निगरानी के लिए उठाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा तय करेंगे. एक तरह से उन पर नज़र रखी जायेगी.
इस फैसले के बाद कहा जा रहा है कि कम्पनी के शेयर नौ प्रतिशत तक गिर गए. जैक मा के खिलाफ नारजगी की वजह ये भी है कि देश में अब युवाओं को चिंता सताने लगी है. उन्हें लगता है कि वो कभी जैक मा या फिर किसी अन्य की तरह नहीं बन पाएंगे. उनसे अवसर छीने जा रहे है. युवा न सिर्फ अमीर लोगों बल्कि सरकार से भी नाराज है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ चीन में खरबपतियों की संख्या अमेरिका और भारत के कुल खरबपतियों के जोड़से भी ज्यादा है. इसके बावजूद चीन में 60 करोड़ आबादी की मासिक आमदनी 150 डॉलर या इससे भी कम है. अब जिन युवकों ने जैक मा के ऐंट ग्रुप जैसी फिनटेक कंपनियों से लोन लिया है, उनका कर्ज तेजी से बढ़ रहा है. उन्हें अपने सपने टूटते हुए नज़र आ रहे हैं.यही वजह है कि जो कभी जैक मा को पूजते थे आज उसी के मरने की दुआ कर रहे हैं.















