जब भी आपके घर में कोई खुशी का मौका होता है तो औरतों जैसे दिखने वाले कुछ लोग तालियां बजाते हुए आते हैं और आप उन्हें देख्ते ही पहचाने लेते हैं कि ये किन्नर हैं।हम इन्हें किन्नर, हिजड़ा और न जाने कितने नामों से जानते हैं।आपने देखा होगा कि ये अापके शुभ कामों में आपसे पैसे मांगते हैं और इनका ज्यादा विरोध नहीं करते और निकाल कर देते हैं।
हकीकत में हमारा समाज विशेषकर सनातन धर्म हिन्दू धर्म में किन्नरों को बहुत ही अत्यधिक सम्मान दिया जाता है। इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि किन्नर जिसको भी अपना आशीर्वाद दें, उसका भाग्य एकदम से चमक उठता है और जिसको भी बद्दुआ दे, उसके दुखों का फिर कोई अंत नहीं होता।
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार वीर्य की बहुत अधिकता से पुत्र तथा रज की बहुत अधिकता से कन्या का उत्पन्न होना है। यदि होने वाली संतान के समय वीर्य और रज दोनों की समान मात्रा हो तो इन किन्नरों की उत्पत्ति होती है।
पुराने शास्त्र और ग्रंथों में भी किन्नरों कामुख्य रूप से वर्णन किया गया है।रामायण के समकालीन ग्रंथों में इन्हें स्वर्गलोक के अंदर रहने और नृत्य, गायन, संगीत इत्यादि कलाओं में महारथी कहकर प्रशंसा की जाती रही है। महाभारत के अंदर भी अर्जुन के अज्ञातवास के दौरान किन्नर बनने का संदर्भ दिया हुआ है।
हमारे समाज में किन्नरों को मंगलमुखी भी कहा जाता है। इसीलिए घर में केसा भी शुभ अवसर जैसे शादी ,जन्म या अन्य किसी भी प्रकार के शुभ कामों में किन्नरों को सम्मान स्वरूप आमंत्रित कर इनसे आशीर्वाद लेते है। लेकिन घर में कोई भी मातम या घटना होने पर इन्हें बिलकुल नहीं बुलाया जाता।
ऐसा कहा जाता है कि बुधवार के दिन किसी भी किन्नर को कुछ रुपए दें। और बदले में उसके पास से एक सिक्का ले और उसे अपने पर्स में रख ले। और ध्यान रखें की ये सिक्का आपके ही दिए पैसों के अंदर से नहीं हो। जब तक उनका दिया हुआ वो सिक्का आपके पर्स में रहेगा, तब तक आपके पास धन की कभी भी कोई कमी नहीं होगी और पैसा दिन-दुगुना रात चौगुना होने लगेगा।
और ऐसी भी मान्यता रही है कि कोई भी किन्नर किसी व्यक्ति को शाप दे दें तो उसका विनाश होना सुनिश्चित है। इसीलिए घर के बूढ़े-बुजुर्ग सभी परिवार वालो को कहते है की किसी भी किन्नर को दुख नहीं पहुंचाये और हो सके तो उनका आशीर्वाद लेते रहे।