करोड़ों रुपये का पैकेज छोड़कर प्रयागराज में धुनी रमा रहे युवा आईआईटियन बाबा

प्रयागराज । महाकुंभ में जहां साधुओं के दर्शन के लिए हजारों की भीड़ उमड़ रही है, वहीं सोशल मीडिया पर एक युवा संत सुर्खियां पा रहा हैं। आईआईटियन बाबा के नाम से मशहूर अभय सिंह ने अध्यात्म की राह पकड़कर अपने परिवार और पूरे समाज को चौंका दिया है। अभय ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और एक सफल पेशेवर जीवन का अनुभव किया, लेकिन अब उन्होंने मोह-माया छोड़कर साधु जीवन अपना लिया है।


अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह, जो पेशे से वकील हैं, बेटे के फैसले से खुश नहीं हैं। उन्होंने बताया कि अभय ने परिवार को अपने निर्णय के बारे में कुछ भी नहीं बताया। कर्ण सिंह ने कहा, हमें सोशल मीडिया के द्वारा पता चला कि अभय ने अध्यात्म का रास्ता चुन लिया है। वे हमारे साथ ज्यादा बातचीत नहीं करता था। जब भी हम फोन करते, वह कहता कि संदेश किया करें। पिछले छह माह से परिवार वालों का नंबर भी ब्लॉक कर दिया। पिता ने बताया कि अभय जानता था कि परिवार उसकी शादी की बात करेगा, इसलिए अभय ने यह कदम उठाया। उन्होंने अभय के स्वभाव को लेकर कहा कि अभय बचपन से ही धुन का पक्का था और जीवन के फैसलों में किसी को ज्यादा नहीं बताता था।


हरियाणा के झज्जर जिले के गांव सासरौली निवासी अभय सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी कर आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने प्लेसमेंट के जरिए नौकरी हासिल की और कनाडा में अपनी बहन के साथ रहते हुए पेशेवर अनुभव लिया। उनके पिता ने बताया कि कनाडा से लौटने के बाद वह एक नैचुरल पैथी चिकित्सालय गए, जहां ध्यान और साधना के बीच उन्हें अध्यात्म के बारे में गहराई से जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने जीवन को अध्यात्म के प्रति समर्पित कर दिया।
पिता का कहना है कि वह बेटे के फैसले से आहत हैं, लेकिन उसकी सोच को समझने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, संभव है कि इसके पीछे कोई बड़ी सोच हो और वह अध्यात्म के माध्यम से समाज को कोई संदेश देना चाहता हो। आईआईटियन बाबा अभय सिंह की कहानी आज के युवाओं के लिए चर्चा का विषय बन गई है। जहां कुछ लोग उनके फैसले को सराह रहे हैं, वहीं कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या परिवार और समाज से दूर जाना उचित है।

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