कर्नाटक में फिर साजिश का शिकार हुए डीके, अपनों ने ही किया बेदखल, ये है पूरे सियासी खेल के पीछे की कहानी !

नई दिल्ली(ईएमएस)। कांग्रेस के संकट मोचक कहे जाने वाले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार एक बार फिर चर्चा में हैं। उनके साथ उनके अपने ही लोग साजिश रच रहे हैं। उन्हे धोखा दिया जा रहा है। कांग्रेस के प्रति समर्पण और निष्ठा, डीके के बराबर पूरे कर्नाटक में किसी कांग्रेस नेता के पास नहीं है। उनका कांग्रेस के प्रति लगाव और जमीनी पकड़ के कारण है, कि कर्नाटक में कांग्रेस ने इस बार प्रचंड बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई है, एक ऐसा जनादेश हासिल किया जो उसे कई सालों बाद मिला। लेकिन उस जनादेश के बाद भी पार्टी के अंदर जारी सत्ता के लिए रस्साकशी कम नहीं हुई है। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के गुट एक दूसरे से समय-समय पर टकराते रहते हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के एक बयान फिर उस सियासी लड़ाई को सुर्खियों में ला दिया है। साफ संकेत दिया गया है कि वे ढ़ाई नहीं पांच साल तक सीएम बने रहने वाले हैं।


सीएम सिद्धारमैया के तेवरों से शिवकुमार समर्थकों में काफी नाराजगी बताई जा रही है। उनका कहना है कि अपने ही लोग साजिश रच रहे हैं और सीएम की कुर्सी से शिवकुमार को बेदखल कर रहे हैं।सीएम सिद्धारमैया कई बार कह चुके हैं कि मैं ही पांच साल मुख्यमंत्री रहूंगा। इसके अलावा उनके समर्थक भी कुछ इसी तरह का माहौल बनाने में लगे हुए हैं। जबकि डीके शिवकुमार सीएम बनने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। उन्हे लगता है कि उनकी आस भी पूरी होने वाली है। लेकिन सीएम सिद्धारमैया जब कहते हैं कि हमारी सरकार पांच साल तक सत्ता में रहने वाली है। मैं मुख्यमंत्री हूं और आगे भी मुख्यमंत्री रहने वाला हूं। जिनको कोई मतलब नहीं है, वो ही लीडर बदलने की बात करते हैं। उन पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे बयानों से डीके के समर्थकों में नाराजगी बढ़ना स्वाभाविक है। अब ये बयान मायने रखता है क्योंकि जिस समय सिद्धारमैया को सीएम बनाया गया था, ऐसा कहा गया कि वे ढाई साल तक कुर्सी संभालेंगे, वहीं बाद में सीएम पद डीके शिवकुमार को दे दिया जाएगा।


यहां ये समझना जरूरी है कि कुछ दिन पहले तक सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले जरकीहोली और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच में तगड़ी तकरार दिखी थी। असल में दशहरा के वक्त अचानक से जरकीहोली अपने साथ 20 विधायकों को मैसूर ले गए थे जो सिद्धारमैया का गढ़ भी है। अब उस कदम की टाइमिंग सभी को हैरत में डाल दिया था क्योंकि डीके के समर्थक बार-बार कह रहे थे कि ढाई साल बाद उनके नेता सीएम पद की शपथ लेंगे। ऐसे में सिद्धारमैया की ताकत का अहसास करवाने के लिए 20 विधायकों को साथ लाया गया। अब उस एक कदम की वजह से तल्खी तो बढ़ी ही, कांग्रेस हाईकमांन को भी हस्तक्षेप करना पड़ गया।


ये है पूरे सियासी खेल के पीछे की कहानी
असल में कांग्रेस इस समय देश में ओबीसी पॉलिटिक्स पर खासा जोर दे रही है। वो जातिगत जनगणना का मुद्दा भी इसी वजह से उठा रही है। अब सिद्धारमैया खुद ओबीसी के एक बड़े नेता हैं, ऐसे में उन्हें खुश रख पूरे समाज को बड़ा संदेश देने का काम किया जा सकता है। खबर ये भी है कि आने वाले समय में कांग्रेस कर्नाटक में एक नहीं तीन-तीन डिप्टी सीएम रख सकती है। जबकि डीके शिवकुमार को सीएम पद नहीं मिला, उनकी तरफ से साफ कहा जा चुका था कि वे अकेले ही डिप्टी सीएम के पद पर रहेंगे। मजे की बात ये है कि कुछ दिन पहले ही जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने डीके शिवकुमार को ऑफर दिया है कि अगर वे सीएम बन जाएंगे तो उनके 20 विधायकों का समर्थन उन्हें मिल जाएगा। यानी कि कर्नाटक की सियासत में कई उतार-चढ़ाव आने वाले हैं।

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