शनिवार को जारी हुई कांग्रेस की 53 नामों की लिस्ट के बाद जारी बगावत का दौर अभी थमा नहीं था। अब सोमवार रात घोषित हुए 11 नामों से मामला और तूल पकड़ गया। कालाढूंगी, लालकुआं से लेकर रामनगर में भी यही स्थिति है। यानी राह पूर्व सीएम हरीश रावत की भी आसान नहीं है।
ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व की लापरवाही चुनाव दहलीज पर पहुंची पार्टी को नुकसान पहुंचाएगी। क्योंकि, चर्चित नामों की बजाय लिस्ट में दूसरों के नाम शामिल हो गए। कांग्रेस की पहली लिस्ट के आने के बाद पिथौरागढ़, बागेश्वर से लेकर ऊधम सिंह नगर में भी बगावत के सुर फूट पड़े थे। मगर डैमेज कंट्रोल करने को लेकर पार्टी के रणनीतिकारों की न पूर्व और न बाद में कोई तैयारी नजर आ रही है।
सोमवार रात जैसे ही फाइनल हुआ कि रामनगर से कार्यकारी अध्यक्ष का टिकट काट खुद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मैदान में उतर चुके हैं। रणजीत रावत के समर्थकों में मायूसी छा गई। अब पार्टी और हरदा की निगाहें भी रणजीत के अगले कदम पर टिकी हुई है। वहीं, लालकुआं में हरीश चंद्र दुर्गापाल और हरेंद्र बोरा को नजरअंदाज कर पूर्व ब्लाक प्रमुख संध्या डालाकोटी को टिकट मिलने से दुर्गापाल और बोरा बगावती तेवर अपना सकते हैं।
दोनों आज समर्थकों संग बैठक कर आगे का फैसला लेंगे। वहीं, कालाढूंगी में सबसे मजबूत दावेदारी महेश शर्मा की थी। लेकिन संगठन महेश के अलावा यहां से दावेदारी करने वाले हर नेता को दरकिनार पूर्व सांसद डा. महेंद्र पाल पर दांव खेल दिया। महेश शर्मा व अन्य की नाराजगी यहां कांग्रेस को भारी पड़ेगी।