कानपुर ब्लास्ट : गद्दारों ने मुफ्तखोरी में उछाला आतंकी शिगूफा….सिर्फ संगठन की दशहत बनाने को भेजी ई-मेल और फर्जी पोस्ट…


सिर्फ संगठन की दशहत बनाने को भेजी ई-मेल और फर्जी पोस्ट…
गद्दारों ने मुफ्तखोरी में उछाला आतंकी शिगूफा

– साइबर और क्राइम ब्रांच को जांच में मिले इनपुट
– सर्वर में सेंध लगाकर विदेशी रास्ते से भेजी ई-मेल
– फर्जी पोस्ट में पड़ोसी पाकिस्तान का झंडा चिपकाया
– सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर शिकंजा


कानपुर। मेस्टन रोड के मिश्री बाजार में बुधवार की शाम देसी पटाखों के विस्फोट को आतंकी हरकत साबित करने के मंसूबों पर पानी फिर गया है। धमाके के अगले दिन चुनिंदा मीडिया संस्थानों को भेजी गई ई-मेल के जरिये दावा किया गया था कि, यूपी में तीन खालिस्तान समर्थकों की मौत का बदला लेने के लिए धमाका किया गया है। इसी के साथ सोशल मीडिया पर तमाम मीडिया संस्थानों के मास्ट-हेड चुराकर मनगढंत खबरों को प्रसारित किया गया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी और स्थानीय पुलिस की जांच के जरिए स्पष्ट है कि, दीपावली के मौके पर देसी पटाखों के अवैध भंडारण में लापरवाही के कारण चिंगारी पहुंचने के कारण धमाका हुआ था। कथित आतंकी ई-मेल और सोशल मीडिया के अफवाहबाज पोस्टों के आईपी एड्रेस भी देश की सरहद के अंदर सक्रिय पाए गए हैं। अलबत्ता ई-मेल भेजने वाले ने सर्वर में सेंधमारी के जरिए विदेशी रास्ते से ई-मेल भेजी थीं। ई-मेल भेजने वाले के साथ-साथ अफवाहबाजों तक कानून के हाथ पहुंचने का दावा है। जल्द ही नफरत का माहौल बनाने की हरकत करने वाले बेनकाब होंगे।

खालिस्तान ज़िंदाबाद फ़ोर्स का दावा सिर्फ फर्जीवाड़ा
एनआईए की जांच टीम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, तीन दिन की सघन-विस्तृत जांच के बाद यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि, मिश्री बाजार में देसी पटाखों के विस्फोट का श्रेय लेने का खालिस्तान ज़िंदाबाद फ़ोर्स का दावा सिर्फ मुफ्तखोरी जैसा है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ता ने खालिस्तान ज़िंदाबाद फ़ोर्स को सिर्फ चर्चित करने के लिए ई-मेल भेजने की हरकत को अंजाम दिया था। एनआईए ने स्पष्ट किया है कि, खिलौना दुकान के बाहर विस्फोट हल्की तीव्रता वाले बारूद के पटाखों के झुंड में एक साथ धमाके के कारण दीवारों पर क्रेक आए थे। 09 अक्टूबर की सुबह 3.16 बजे भेजी गई ई-मेल स्विटजरलैंड के एन्क्रिप्टेड सेवा प्रोटान मेल के आईपी एड्रेस से प्राप्त हुई है। तहकीकात करने पर मालूम हुआ कि, ई-मेल भेजने वाले तकनीकी दक्ष कार्यकर्ता ने प्रोटान मेल के सर्वर में सेंध लगाकर भारत में बैठे-बैठे विदेशी रूट से ई-मेल को मीडिया संस्थान तक पहुंचाया था।

सोशल मीडिया के पोस्ट भी पश्चिमी यूपी से
सूत्रों के मुताबिक, धमाके में आठ सैनिकों की मौत और संघ के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी जैसे बोगस पोस्ट भी देश की सरहद के अंदर बैठे हरकतबाजों की हरकत साबित हुई है। प्रारंभिक जांच में स्पष्ट हुआ है कि, राष्ट्र-विरोधी ताकतों ने मीडिया संस्थानों के मास्ट-हेड और लोगो गूगल पिक्चर के जरिए चुराकर फर्जी और मनगढंत पोस्ट बनाकर वायरल कराई थीं। अफवाह फैलाने वाले कई आईपी एड्रेस तक जांच एजेंसियां पहुंच चुकी हैं। जल्द ही हरकतबाजों को हिरासत में लेकर पूछताछ होगी। इस संबंध में ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आशुतोष कुमार ने बताया कि, अफवाह फैलाने वालों के साथ-साथ फर्जी पोस्ट को वायरल करने वालों पर सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ स्थानीय खुफिया की नजर लगी है। नफरत और फर्जी खबरों को फैलाने वालों के साथ कमिश्नरेट पुलिस सख्ती के साथ निबटेगी।

कोट्स…
घटना में किसी आतंकी साजिश या आतंकवादी पहलू का कोई प्रमाण नहीं मिला है। यह मामला पूरी तरह गैरकानूनी पटाखा भंडारण और बिक्री से जुड़ा हुआ है।
रघुवीर लाल, पुलिस कमिश्नर
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