
कानपुर। कोरोना वायरस के शिकार आईसीयू में भर्ती गंभीर संक्रमित और संक्रमण से उबरने के बाद नॉन कोविड हुए मरीजों पर ब्लैक फंगस ने (म्यूकरमाइकोसिस) हमला बोल दिया है। शहर में भी ब्लैक फंगस जैसे लक्षण के मरीज इलाज के लिए आने लगे हैं। लेकिन उसके इलाज में दवाइयों और इंजेक्शन की कमी रोड़ा अटका रही है। यहां थोक व फुटकर दवा बाजार में भी एंटी फंगल दवाइयां नहीं हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय से दवाइयां नहीं मिलीं तो फंगल ब्रेन तक पहुंच सकता है,जो जानलेवा साबित होगा।
तीन दिन पहले नेहरू नगर निवासी 30 वर्षीय युवक भर्ती हुआ था। उसके बाद से अब तक एक महिला समेत चार और भर्ती हुए हैं। शनिवार देर शाम एक युवक हैलट इमरजेंसी में भर्ती हुआ,जिसकी आंख की रोशनी पूरी तरह से जा चुकी है। उसकी आंखें एकदम बाहर की तरफ आ चुकी हैं। इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि स्वाब का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। अगर फंगस का इंफेक्शन खून में पहुंच गया तो जान बचाना मुश्किल होगा।
गुजैनी निवासी ऋषभ अग्निहोत्री के पिता राजेश होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद दोबारा जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ब्लैक फंगस जैसे लक्षण उनकी दाहिनी आँख में दिखने लगे है। बेटे के मुताबिक़,पिता को हैलट इमरजेंसी में भर्ती कराने के लिये डाँक्टर से हाथ जोड़कर कई बार विनती करनी पड़ी तब कहीं जाकर वो भर्ती हो सके। पत्नी अमिता ने रविवार को बताया कि,यहां इस मर्ज की दवा नहीं है। डाँक्टर ने दवा का पर्चा लिखा और बाहर से लाने को कहा। दवा के लिए कई मेडिकल स्टोरों में भटकना पड़ा लेकिन निराशा ही हाथ लगी। बताया कि,पति की हालत गंभीर होती जा रही है।
जिले में सरकारी और निजी क्षेत्र में जांच की सुविधा नहीं
कानपुर। जिले में सरकारी और निजी क्षेत्र में जांच की सुविधा नहीं है। जीएसवीएम मेडिकल काँलेज के प्राचार्य प्रो आरबी कमल ने बताया कि एमआरआई एवं बायोप्सी जांच में ब्लैक फंगस की पुष्टि के बाद वार्ड नौ में भर्ती कराया जाएगा। उस वार्ड को सुरक्षित कर दिया गया है। अगर पीड़ित में पुष्टि होगी तो एक्सपर्ट सर्जन की टीम उनकी जान बचाने के लिए उनकी आंख एवं साइनस तत्काल निकालेगी। अगर फंगस ब्लड में पहुंच गया तो जानलेवा साबित होगा।










