कानपुर में स्वास्थ सेवाओं को बेहतर बनाने के दावों की खुली खोल, जानिए पूरा मामला


कानपुर।  स्वास्थ सेवाओं को बेहतर बनाने के चाहे तमाम दावे किये जा रहे हो लेकिन हालात जस के तस बने हुए है। शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीज अपने-अपने क्षेत्र के स्वास्थ केंद्रों में इस उम्मीद के साथ जाते है कि,वहां फौरी तौर पर इलाज मुहैया हो सकेगा। लेकिन मरीज और उनके तीमारदारों को निराशा ही हाथ लगती है। मजबूरी में वो शहर की ओर रुख करते है। वहीं कोरोना संक्रमण के बीच निजी हाँस्पिटल का मरीजों को लूटने का सिलसिला जारी है। निजी हाँस्पिटल,मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रखकर मनमानी करने पर उतारू है। शिवदारा शिकोह बिल्हौर निवासी सुशील सिंह अपने बुजुर्ग पिता सुरेंद्र को सांस की तकलीफ और आँक्सीजन लेवल कम होने पर गंभीर हालत में लेकर रविवार दोपहर हैलट इमर्जेन्सी लेकर पहुंचे और इलाज शुरू कराया। परिजनों के मुताबिक,बुजुर्ग को पहले बिल्हौर सीएचसी ले गए थे,लेकिन वहाँ भर्ती करने के बजाय हैलट रेफर कर दिया।


ग्राम पियानी बिल्हौर के रहने वाले रघुवर दयाल ने बड़े भाई पातिराम को तीन दिन पूर्व सांस की तकलीफ होने पर शारदा नगर स्थित अनुराग हाँस्पिटल में भर्ती कराया। आरोप है कि,यहाँ तीन दिन मरीज को आईसीयू में रखने के बाद भी उनके भाई की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ ऊपर से हाँस्पिटल ने चार लाख का बिल थमा दिया। पीड़ित परिवार का कहना है कि,उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं,हाँस्पिटल प्रबन्धन अपनी मनमानी पर उतारू थे। हालत बिगड़ती देख पत्नी मंजु अपने बेटे शुभम व देवर के साथ पति को लेकर हैलट इमर्जेन्सी पहुंची और भर्ती कराया।


बर्रा विश्व बैंक निवासी सौरभ सिंह सचान दोपहर अपनी पत्नी पूजा को सांस की तकलीफ व लो ब्लड प्रेशर होने पर नाजुक हालत में अपनी माँ उमा के साथ कार से लेकर यहां पहुंचे। सास के मुताबिक,डाँक्टर ने चेकअप करने के बाद पर्चे पर दवाइयाँ लिख दी और घर पर ही इलाज करने को कहा लेकिन बहू को भर्ती नहीं किया गया।

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