कानपुर: 81 साल की उम्र में दादी ने दिखाया दम, नाली-खड़ंजा ठीक करने पंचायत चुनाव में उतरीं

कानपुर :  कहते हैं कि कुछ अच्छा करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है, बस अगर कुछ चाहिए होता है तो साहस और हिम्मत, ऐसा ही कुछ कानपुर में उस समय देखने को मिला, जब 81 वर्ष की वृद्ध महिला गांव में चुनाव के वक्त आने वाले नेताओं से नाली खड़ंजा बनवाने के लिए विनती करती रही। लेकिन जब किसी ने एक न सुनी तो अब 81 वर्ष की वृद्ध महिला गांव के विकास के लिए बीडीसी पद से चुनाव लड़कर गांव में विकास कार्य कराना चाहती हैं और उनका कहना है कि अगर वह चुनाव जीत गईं तो सबसे पहले गांव में नाली बनवाने के साथ-साथ खड़ंजा बिछाने का काम करेंगी।

किसी ने नहीं कराया विकास
कानपुर के चौबेपुर विकासखंड में विकास कार्य न होने से परेशान होकर 81 वर्षीय वृद्ध महिला रानी चौबेपुर के रुद्रपुरवैल निवासी ने शनिवार को बीडीसी ( क्षेत्र पंचायत सदस्य) के लिए नामांकन दाखिल किया। उन्होंने कहा है कि चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले वह नाली-खड़ंजा का काम गांव में करवाएंगी।

81 वर्षीय वृद्ध महिला रानी कहती हैं कि गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है, जिसके चलते आज भी गांव में सड़कों पर पानी भरा रहता है। उन्होंने कहा कि मेरी आखिरी इच्छा है कि जीत कर अपने गांव के लिए काम करूं। मेरा कोई लालच नहीं है, सिर्फ गांव के विकास के लिए चुनाव लड़ रही हूं। गांव के लिए मैं घर-घर जाकर समर्थन मांगूंगी। अभी इन बूढ़े हाथों में बहुत दम है। अब मैं रुकूंगी नहीं।

नाती बोला अम्मा मत लड़ो चुनाव

उन्होंने कहा कि मैं अपनी मर्जी से चुनाव लड़ रही हूं। घरवाले तो मना कर रहे थे कि चुनाव मत लड़ो और वहीं नाती भी कह रहा था कि अम्मा चुनाव मत लड़ो। लेकिन गांव के विकास के लिए चुनाव लड़ने की ठानी है। चुनाव लड़ने की मेरी कोई इच्छा नहीं है। लेकिन गांव के विकास के लिए सबसे कह कर थक चुकी हूं। लेकिन अभी तक गांव में कोई विकास नहीं हुआ है और ना ही किसी ने नाली और खड़ंजा का काम करवाया है। मेरी जब किसी ने सुनी ही नहीं तो अब मैंने चुनाव लड़ने की ठान ली है।

गांव में हो रही है चर्चा
81 साल की वृद्ध महिला रानी के चुनाव लड़ने की जानकारी जैसे ही गांव वालों को मिली सभी उनकी हिम्मत की दाद दे रहे हैं और कह रहे हैं कि गांव में विकास कार्य किसी ने नहीं करवाया है और कई बार वृद्ध रानी गांव के कई नेताओं से भी कह चुकी हैं और किसी ने उनकी बात पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने का जो कदम उठाया है उसकी हम दाद देते हैं।

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