कुत्ते क्यों करते है खुले में सहवास, क्या आपको पता है इसके पीछे की वजह

दोस्तों, आप ने कई बार कुत्तों को खुले में सहवास करते देखा होगा, पर क्या आपने कभी सोचा कि ऐसा क्यों है, आखिर किस वजह से कुत्ते ऐसा करते है। कही ये उनकी किसी भूल की सजा तो नही या है कोई और कारण..

दरअसल, महाभारत काल में एक ऐसी शर्मनाक घटना घटित हुई थी, जिसने कुत्तों की पूरी जाती का भविष्य ही बदल दिया था। आपको बता दें कि कुत्तों को ये श्राप किसी और ने ही बल्कि पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने दिया था।

अब सवाल ये उठता कि पांचाली का भला कुत्तों से क्या बैर और उन्होंने कुत्तों को ही ये श्राप क्यों दिया..

दोस्तो, ये तो हम सभी जानते है कि द्रौपदी का विवाह कुंती के पांच पुत्रों से हुआ था और तभी ये तय किया गया कि द्रौपदी एक साल में सिर्फ एक ही पांडव के साथ अपना समय बिताया करेंगीं। जब वो किसी पांडव के साथ अपने कक्ष में समय बिता रहीं होगीं, तब जो भी पांडव कक्ष में होगा वो अपनी पादुकायें बाहर ही निकाल देगा। जिससे कोई और पांडव कक्ष में न जा सकें। ये बातें सभी पांडवों ने मान ली थी।

एक दिन द्रौपदी अर्जुन के साथ अपने कमरे में थी। दोनों ही बहुत सुखद समय बीता रहे थे। एक दूसरे की बातों में खोये दोनों उस समय का आनंद ले रहे थे, तभी उनके कक्ष के बाहर एक कुत्ता आया। उसने अर्जुन की पादुकायें अपने मुंह में दबाई और जंगल की ओर भाग गया। जंगल जाकर कुत्ता उस पादुका से खेलने लगा। उधर भीम अपने कक्ष में जा रहे थे, उन्होनें देखा कि द्रौपदी के कक्ष के बाहर कोई पादुकायें नही, इसका मतलब है कि वो इस समय कक्ष में अकेली है। भीम बिना कुछ सोचे तुरंत कक्ष के अंदर चले गये। जब द्रौपदी ने भीम को अचानक इस तरह कमरे में देखा तो वो गुस्से से आग बबूला हो गई और लज्जित महसूस करने लगी।

गुस्से में लाल द्रौपदी ने भीम से पूछा आप कक्ष के अंदर ऐसे कैसे आ सकते है, जब कि कक्ष के बाहर निकली पादुकाय़ें इस बात का संकेत दे रही है कि कक्ष के अंदर अर्जुन है। द्रौपदी को शांत करते हुए भीम ने कहा कि बाहर तो कोई भी पादुका नही है, तभी तो मैं अंदर आया। अगर मुझे कोई पादुका दिखती तो मैं अंदर आता ही नही। तब अर्जुन और भीम पादुका को देखने के लिए कक्ष के बाहर आ गये और उसे खोजने लगे। पादुका खोजते-खोजते दोनों भाई उसी जंगल में जा पहुंचे जहां वो कुत्ते उन पादुकाओं से खेल रहे था।

अर्जुन और भीम के पीछे-पीछे द्रौपदी भी उसी जंगल में जा पहुंची। जब उन्होंने उस कुत्ते को पादुका के साथ खेलता देखा, तब गुस्से से भरी द्रौपदी ने न आव देखा न ताव और कुत्ते को श्राप दे दिया। उन्होंने श्राप देते हुए कहा कि आज तुम्हारी वजह से मुझे भीम के सामने शर्मिंदा होना पड़ा है, इसलिए मैं तुम्हें और तुम्हारी पूरी जाती को खुले में सहवास करने का श्राप देती हूं और तभी से ये श्राप कुत्ते आज तक भुगत रहें हैं।

हालांकि, ये कहानी किसी भी ग्रंथ में नही मिलती, इसके दो कारण पहला ये इस लोक कथा का कोई प्रमाण नही है और दूसरा ये कि सभी जानवर खुले में ही सहवास करते है, तो क्या श्राप सिर्फ कुत्ते को ही दिया गया था। यही कारण है कि कुछ लोग इसे सच मानते है, तो वही कुछ लोग इसे काल्पनिक कथा बताते है।

आपको बता दें कि कुत्तों से जुड़ी ऐसी और भी कई बातें है जो हमारी पौराणिक कथाओं में हमेशा से बतायी जाती रही है। माना जाता है कि प्रकृति में जब भी कुछ घटित होने वाला होता है तो इसका पता कुत्तों को पहले ही चल जाता है। इतना ही नही कहा तो ये भी जाता है कि कुत्तों को भूत-प्रेत भी दिखाई देते है।

क्या आपको पता है कुत्तों को भैरवनाथ की सवारी भी माना गया है, लेकिन इन सबके बाद भी कुत्ते के रोने को अशुभ बताया जाता है। अगर कुत्ता आपके घर के सामने रोता है तो इसका मतलब है कि आपके यहां कुछ अनहोनी होने वाली है। वैसे आमतौर पर कुत्ते रात में तब रोते है, जब उन्हें अपने आस-पास कोई बुरी शक्ति का आभास होता है।

वही ज्योतिश शास्त्र की माने तो कुत्ते को यम का दूत होते है। कहा तो ये भी जाता है कि कुत्ते हमेशा दूसरों की जान लेकर ही अपना पेट भरता है और शायद इसी वजह से ये कहा गया है कि अगर कुत्ता आपका खाना देख ले या फिर उसे छू ले तो वो खाना अपवित्र हो जाता है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें