केदारनाथ धाम में अब नहीं बजा सकेंगे ढोल, नगाड़े, जानें क्यों ?

-शोरगुल पर भड़के तीर्थ पुरोहित बोले-केदारसभा की अनुमति जरुरी


देहरादून । केदारनाथ धाम में बिना अनुमति के ढोल-नगाड़े बजाना युवकों पर भारी पड़ गया। वहां के तीर्थपुरोहित ने इन युवाओं की जमकर क्लास ली और फटकार लगाई और दोबारा ढोल न बजाने की चेतावनी भी दी। तीर्थपुरोहित ने यहां तक कह दिया कि डीएम की अनुमति होने के बाद भी केदारसभा की अनुमति लेनी जरूरी होगा।


केदारनाथ धाम के कपाट खुलते ही राज्यों के कलाकार ढोल-नगाड़ों के साथ वहां पहुंचे गए । पहले महाराष्ट्र के कलाकारों ने ढोल, नगाड़ों के साथ नृत्य किया। केदारधाम में रोज ही युवा ढोल-नगाड़े बज रहे हैं जिससे काफी शोरगुल हो रहा था। धाम में ढोल नगाड़े बजने का सोशल मीडिया में जब वीडियो वायरल हुआ तो कई लोगों ने इस तरह की मस्ती और शोरगुल का विरोध किया। इसके बाद युवाओं के ढोल नगाड़े बजाने और वीडियो बनाने पर तीर्थ पुरोहित अंकित सेमवाल भड़क गए और उन्होंने इन युवाओं को जमकर फटकार लगाई। यहां तक कि उन्होंने ढोल छीन कर फेंक दिया।


सेमवाल का कहना था कि ढोल ना बजाया जाए। यहां केवल मंदिर का ढोल बजेगा। इसके अलावा कोई शोरगुल नहीं होना चाहिए। उन्होंने इन युवाओं से यह भी सवाल किया कि यहां ढोल नगाड़े बजने की अनुमति उनके पास है या नहीं यदि अनुमति है तो दिखाएं। हालांकि यह लोग इस तरह की कोई अनुमति नहीं दिखा पाए। इस पर सेमवाल ने साफ कह दिया कि यदि जिलाधिकारी भी अनुमति देंगे तो यहां ढोल-नगाड़े बजाने के लिए पहले केदारसभा की अनुमति लेना जरूरी होगा।


वहीं उत्तराखंड के मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने चारधाम यात्रा का दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कठोर वैधानिक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने कहा है कि बिना रजिस्ट्रेशन व ट्रिप कार्ड या पोस्ट डेटेड रजिस्ट्रेशन की बसों और गाड़ियों का यात्रा मार्ग पर संचालन होने पर इन बसों को यात्रा मार्ग से ही वापस भेजने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में मुख्य सचिव ने अन्य राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशकों को भी पत्र भेजने की बात कही है।

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