कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज असंभव माना जाता रहा है। लेकिन हाल ही वैज्ञानिको द्वारा किये गए अनुसंधान में यह पाया गया कि इसका इलाज सम्भव है। इसका इलाज अंग्रेज़ी दवाओं के बजाए प्राकृतिक तौर पर अपनाई जाने वाली घरेलू दवा, कैंसर जैसी बिमारी के इलाज के लिए अधिक कारगर साबित है।वह भी बगैर किसी साइड इफेक्ट के। आज हम आपको एक ऐसी दवा के बारे में जो कैंसर कोशिकाओं को तेजी से समाप्त करने में बेहद कारगर साबित हो है।
जी हाँ, हाल ही में हुए एक शोध में यह बात साबित हुई है कि अंगूर के बीजों का सत्व या अर्क ल्यूकेमिया और कैंसर के अन्य प्रकारों को बहुत ही सकारात्मक ढंग से ठीक करने में बेहद मददगार साबित होता है। इसके साथ ही शोध में यह भी साबित हो चुका है कि अंगूर के बीज सिर्फ 48 घंटे में हर तरह के कैंसर को विकीर्ण करने में सक्षम है। अमेरिकन एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक कैसर रिसर्च के अनुसार अगूर के बीज में पाया जाने वाला जेएनके प्रोटीन, कैंसर कोशिकाओं की विकीर्णों को नियंत्रित करने का काम करती है।
इस तरीके से अब तक सभी स्टेज के कैंसर मरीजों का इलाज हो चूका हैं और सभी लोगों पर यह दवा 100 % असरदार भी रही है। इसके साथ ही हमारे घर में खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला बेकिंग सोडा भी कैंसर को खत्म करने के लिए रामबाण इलाज है। 2 से 10 रुपए की कीमत पर मिलने वाले बेकिंग सोडा की मदद से इटली के डॉक्टर टूलिओ सिमोनचिनी सैकड़ों मरीजों का इलाज भी कर चुके हैं। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि बेकिंग सोडा की मदद से हम जो इलाज करते है, उससे 10 दिन में किसी भी स्टेज के कैंसर को काफी हद तक रोका जा सकता है। उनका मानना है कि कई मामलों में फंगस कैंसर को पैदा करते हैं, जो बेकिंग सोडा की मदद से रोका जा सकता है। बाहरी घाव जहां कैंसर होने का होने का डर होता है, उस पर बेकिंग सोडा भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा इसे पीकर भी बहुत से फायदे हो सकते हैं।
डॉ. टूलिओ की स्टडी के मुताबिक जब शरीर का पीएच लेवल लगातार एसिडिक हो जाता है, तो ऐसे में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में बेकिंग सोडा शरीर में पीएच लेवल को कम करने में मदद कर सकता है। बैंकिंग सोडा धीरे-धीरे ये शरीर का पीएच लेवल कम करेगा, जिससे ट्यूमर्स बढ़ने का खतरा रुक जाता हैं। लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी ले। इसकी जांच यूरिन के माध्यम से होता है, जिससे शरीर का पीएच लेवल क्या है, ये पता किया जा सकता है। ये 7 से 8 के बीच होना चाहिए, अगर ये 8 से ऊपर पहुंच जाए, तो बेकिंग सोडा लेना बंद कर देना चाहिए।
डॉ. टूलिओ का यह भी कहना है कि सामान्य एंटी फंगल दवाएं कैंसर के खिलाफ अप्रभावी होती हैं क्योंकि वे केवल कोशिकाओं की सतह पर ही काम करती हैं। मुख्य इंफेक्शन एक बैक्टीरिया से अधिक शक्तिशाली है। यही कारण है कि फंगल इंफेक्शन इतने लंबे समय तक शरीर में बना रहता है। डॉ यह दावा करते है कि उन्होंने उन चीजों की पहचान की है, जो फंगस की कॉलोनीज पर हमला कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि स्किन कैंसर के लिए बेकिंग सोडा और आयोडीन टिंचर सबसे अच्छा पदार्थ है। कई अध्ययनों में यह बात साबित हुई है कि कैंसर के खिलाफ बेकिंग सोडा ने इंट्रासेल्यूलर एक्शन किया है।