
देश एक बार फिर कोरोना के खतरे की ओर बढ़ता दिख रहा है। शुक्रवार तक एक्टिव केस 1,828 पहुंच चुके हैं और 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें सबसे ज्यादा 6 मौतें महाराष्ट्र में हुईं। राज्य सरकार ने कोरोना के साथ-साथ इन्फ्लूएंजा और सांस से जुड़ी बीमारियों पर भी सर्वे शुरू कर दिया है, ताकि संक्रमण की गंभीरता को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल का मानना है कि 2022 के बाद से जब-जब नए वैरिएंट सामने आए हैं, मामलों में बढ़ोतरी तो हुई लेकिन हालात गंभीर नहीं हुए। उन्होंने साफ कहा, “इस बार भी घबराने की ज़रूरत नहीं है। चौथी लहर पहले जैसी घातक नहीं होगी, लेकिन लापरवाही नहीं की जानी चाहिए।” इसी तरह बीएचयू के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे का भी मानना है कि अगर चौथी लहर आती है, तो इसका प्रभाव सीमित रहेगा 21 से 28 दिन तक और यह दूसरी लहर जितनी खतरनाक नहीं होगी।
हालांकि, विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि नए वैरिएंट्स के सामने वैक्सीन की प्रभावशीलता कमजोर हो सकती है। इसका अर्थ यह नहीं कि वैक्सीन बेअसर है बल्कि यह अब संक्रमण को पूरी तरह रोकने के बजाय, गंभीर लक्षणों और अस्पताल में भर्ती होने की आशंका को कम करती है। इसलिए जिन लोगों ने वैक्सीन ली है, उन्हें भी अब फिर से सतर्क रहने की ज़रूरत है।
क्या हैं कोरोना के नए वैरिएंट्स के लक्षण?
देश में कोविड-19 के मामलों में दोबारा बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और इसके पीछे सबसे ज़्यादा चर्चा में है कोरोना का नया वैरिएंट JN.1। यह ओमिक्रॉन के BA.2.86 का एक स्ट्रेन है, जिसे अगस्त 2023 में पहली बार पहचाना गया था और दिसंबर में WHO ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया। इस वैरिएंट में करीब 30 म्यूटेशन हैं जो हमारी इम्यूनिटी को कमजोर कर सकते हैं।
भारत में JN.1 अब सबसे आम वैरिएंट बन चुका है—टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल इसी वैरिएंट के पाए गए हैं। इसके अलावा LF.7, XFG और NB.1.8.1 जैसे अन्य वैरिएंट भी सामने आए हैं, जिनमें से कुछ में ऐसे म्यूटेशन हैं जो वायरस को तेज़ी से फैलने में मदद करते हैं। ICMR के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल के अनुसार, अभी स्थिति गंभीर नहीं है, लेकिन लोगों को बिलकुल भी लापरवाह नहीं होना चाहिए।
इस वैरिएंट के लक्षण दूसरे कोविड वैरिएंट्स जैसे ही हैं, लेकिन तेज़ी से फैलने की क्षमता इसे अलग बनाती है। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- सिरदर्द
- बुखार
- सूखी खांसी
- गले में खराश, नाक बहना या बंद होना
- आंखों में जलन
- स्वाद या गंध का न आना
- थकान, मांसपेशियों में दर्द
- दस्त या उल्टी
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, JN.1 अधिक संक्रामक जरूर है, लेकिन यह अब तक बेहद गंभीर मामलों का कारण नहीं बना है। हालांकि, कुछ लोगों में इसके लक्षण हफ्तों तक बने रह सकते हैं, जिसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है। WHO ने भले ही इसे फिलहाल चिंताजनक श्रेणी में नहीं रखा है, लेकिन चीन समेत कई एशियाई देशों में मामलों में उछाल इसी वैरिएंट के चलते देखा जा रहा है। लक्षण हल्के हों या गंभीर, यह साफ है कि वायरस अब भी हमारे बीच है और रूप बदलकर लौट रहा है। ऐसे में मास्क पहनना, भीड़ से बचना, और खुद को आइसोलेट करना जैसे पुराने एहतियात आज भी उतने ही ज़रूरी हैं। याद रखें, सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।