कोलकाता । आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर एक महीने से चल रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच, सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक अपील ने नए विवाद को जन्म दे दिया। उन्होंने लोगों से कहा, “एक महीना हो गया है। मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि अब पूजा के जश्न में लौट आएं।”
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में आलोचनाओं की बाढ़ आ गई है। भाजपा के राज्य अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, “मुख्यमंत्री खुद को क्या समझती हैं? क्या पूरे राज्य के लोग उनके दल के अनुयायी हैं? वह तय करेंगी कि लोग कब विरोध समाप्त करें?”
मजूमदार ने आगे कहा, “पूरा बंगाल शोक में डूबा है। जो महिलाएं कभी सड़कों पर नहीं उतरीं, वे भी इस मुद्दे पर सामने आई हैं। मुख्यमंत्री को राज्य के लोगों के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए, लेकिन वे आंदोलन से डर कर लोगों से पूजा के आनंद में शामिल होने की अपील कर रही हैं। यह निंदनीय है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस टिप्पणी के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
गौरतलब है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर मामले की सुनवाई पूरी हुई थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक समीक्षा बैठक में कहा कि जूनियर डॉक्टरों को मंगलवार शाम से काम पर लौटना चाहिए। राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जूनियर डॉक्टरों के लंबे समय से जारी आंदोलन के कारण राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो रही हैं। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने काम पर लौटने का निर्देश दिया। इस फैसले से राज्य सरकार को राहत मिलती दिखी और मुख्यमंत्री ने भी सख्त रुख अपनाया।
ममता बनर्जी ने आंदोलनकारियों से कहा, “यदि आप हर रात सड़कों पर रहते हैं, तो बहुत से लोगों को परेशानी होती है। कई क्षेत्रों में बुजुर्ग लोग रहते हैं, जिन्हें रात में लाइट जलने से नींद में दिक्कत होती है।” उन्होंने यह भी कहा कि वे अब तक आंदोलन को सहन करती आई हैं। उन्होंने कहा, “प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम भी हैं कि रात 10 बजे के बाद माइक नहीं बजाना चाहिए। फिर भी हमने सब कुछ सहन किया।” इसके बाद उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे पूजा और उत्सव में लौट आएं।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आंदोलन की प्रमुख नेता रिमझिम सिंह ने कहा, “लोग अब महोत्सव में ही हैं, क्योंकि आंदोलन को वे महोत्सव के रूप में देख रहे हैं। वे खुद तय करेंगे कि कौन सा उत्सव मनाना है।” उन्होंने आगे कहा, “यह आंदोलन केवल एक घटना के लिए नहीं है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि भविष्य में ऐसा कुछ न हो। अभी तक राज्य प्रशासन ने इस आंदोलन से उठी मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया है। इसलिए लोग खुद तय करेंगे कि वे कौन सा उत्सव चुनेंगे।”
17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है। संयोगवश, उसी दिन विश्वकर्मा पूजा भी है, जिसके बाद से बंगाल में हर साल पूजा का माहौल बन जाता है। इस साल 2 अक्टूबर को महालया है, जिसके बाद से दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। लेकिन, राज्य में इस बार दुर्गा पूजा के दौरान आंदोलन का स्वरूप कैसा होगा, इस पर प्रशासन चिंतित है।
इस बीच, वामपंथी मानी जाने वाली अभिनेत्री उषसी चक्रवर्ती ने कहा, “इस बार पूजा का मूड किसी के मन में नहीं है। मैंने पूजा के लिए कुछ भी नहीं खरीदा है और न ही खरीदूंगी। जहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, वहां पूजा के कपड़े क्यों खरीदें? जहां एक लड़की मारी गई, वहां अर्थव्यवस्था की चिंता करने की जगह ही नहीं है।”
मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर भाजपा सांसद शमिक भट्टाचार्य ने कहा, “इस बयान में एक तानाशाह की आवाज है। उत्सव तो मन की खुशी से होता है। जब मन में दुख होता है तो उत्सव अच्छा नहीं लगता।