
लखनऊः उत्तर प्रदेश पुलिस के मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार की 31 में को विदाई हो गई. उनके सेवा विस्तार की अटकलें को देर शाम को विराम लग गया और उत्तर प्रदेश के सीनियर मोस्ट आईपीएस अधिकारियों में शामिल राजीव कृष्ण को उत्तर प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया है. इसी के साथ ही उत्तर प्रदेश में कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की चली आ रही परंपरा को कायम रखा है.
राजीव कृष्णा से पहले चार कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया का काम संभाल चुके हैं. राजीव कृष्णा 2027 तक उत्तर प्रदेश के पुलिस की मुखिया की जिम्मेदारी संभालेंगे और इन्हीं के अगुवाई में सरकार विधानसभा चुनाव में जाएगी. उत्तर प्रदेश महानिदेशक बनने की दौड़ में आलोक मिश्रा, दलजीत चौधरी और तिलोत्मा तिलोत्तमा वर्मा का नाम चल रहा था.
योगी सरकार में अब तक के नवें डीजीपी नियुक्त हुए राजीव कृष्ण:
साल 2017 में उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के बाद भाजपा बीते 8 सालों में पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति की है. इसमें चार पुलिस महानिदेशक नियमित तथा चार पुलिस महानिदेशक कार्यवाहक के तौर पर उत्तर प्रदेश में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
योगी सरकार ने जब पहली बार शपथ ली थी, तब उत्तर प्रदेश में डीजीपी के तौर पर सुलखान सिंह की नियुक्ति हुई थी. इसके बाद ओपी सिंह उत्तर प्रदेश के डीजीपी बने थे, उनके बाद हितेश चंद्र अवस्थी को उत्तर प्रदेश का पुलिस महानिदेशक बनाया गया था. मुकुल गोयल की उत्तर प्रदेश के नियमित पुलिस महानिदेशक के तौर पर नियुक्ति की गई थी.
उनका कार्यकाल शुरू होने के कुछ समय बाद ही मुख्यमंत्री ने उन्हें उनके पद से हटा दिया था. मुकुल गोयल को हटाकर के सरकार ने विजय कुमार को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया था. विजय कुमार का कार्यकाल पूरा होने के बाद आरके विश्वकर्मा नए कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक बने थे. इसके बाद तीसरे नंबर पर डीएस चौहान को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक बनाया गया था.
इनका कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया था. अब प्रशांत कुमार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राजीव कृष्ण को कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
चार सीनियर आईपीएस थे डीजीपी की दौड़ में:
उत्तर प्रदेश में लगातार कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर के सरकार पर विपक्ष लगातार हमले कर रहा था. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश सरकार की तरफ से कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार दिलाने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश भेजी गई थी.
उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था और मौजूदा हालात को देखते हुए केंद्र सरकार की तरफ से प्रशांत कुमार की सेवा विस्तार पर सहमति नहीं दी गई. इसके बाद उत्तर प्रदेश में सबसे सीनियर आईपीएस अधिकारी डीजी होमगार्ड बीके मौर्य का नाम चल रहा था, पर उनके सेवानिवृत्ति होने में केवल 2 महीने का ही समय शेष बचा था. ऐसे में उनके नाम पर सहमति बनने की उम्मीद कम थी.
इसके बाद सीनियर आईपीएस आलोक मिश्रा और दलजीत चौधरी का नाम था. यह दोनों केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात थे. भारत-पाकिस्तान के तनाव को देखते हुए बीएसएफ के डीजी पद से दलजीत चौधरी नहीं हटाया जा सकता था. वही आलोक शर्मा भी भारत सरकार में एनएसजी के डीजे के पद पर नियुक्त हैं.
उनको भी हटाना मुमकिन नहीं था. ऐसे में चौथा नाम तिलोत्तमा वर्मा का था, तो उम्मीद की जा रही थी कि उत्तर प्रदेश में पहली महिला डीजीपी की नियुक्ति हो सकती है. पर उनके नाम पर भी सहमति नहीं मिली और इन सबसे जूनियर होने के बाद भी राजीव कृष्ण को उत्तर प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक बना दिया गया.
मुकुल गोयल ने डीजीपी की नियुक्ति को किया था चैलेंज:
उत्तर प्रदेश पुलिस के आखिरी नियमित पुलिस महानिदेशक रहे मुकुल गोयल ने अपनी नियुक्ति के कुछ समय बाद सरकार द्वारा उन्हें पद से हटाए जाने के बाद में बीजेपी की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर वो कोर्ट में चले गए. उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर एक पैनल का गठन करने का निर्देश दिया था.
इस पैनल में यूपीएससी के एक सदस्य हाईकोर्ट के एक जज तथा एक पूर्व डीजीपी को इसमें शामिल किया जाना था. पर सरकार ने इस मामले में अभी तक कोर्ट में कोई जवाब नहीं दिया है. इस कारण उत्तर प्रदेश पुलिस के नियमित डीजीपी के चयन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. ऐसे में जब तक सरकार इस याचिका पर कोर्ट को जवाब नहीं देती, तब तक उत्तर प्रदेश में नियमित डीजीपी की नियुक्ति नहीं हो सकती है.
1991 बैच हैं आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्णा:
राजीव कृष्ण यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. अभी वे यूपी पुलिस के डीजी पद पर तैनात थे. डीजी विजिलेंस के रूप में वे कार्य कर रहे थे. उन्हें पुलिस भर्ती बोर्ड की जिम्मेदारी भी दी गयी थी. राजीव कृष्ण वर्ष 1991 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं. राजीव कृष्ण की चर्चा आगरा में वर्ष 2004 में बतौर एसएसपी तैनाती को लेकर खूब होती है.
आगरा एसएसपी के तौर पर उन्होंने अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया था. बीहड़ में सक्रिय अपहरण गिरोहों के खिलाफ राजीव कृष्ण ने प्रभावी कार्रवाई की थी. एडीजी आगरा से ही वे डीजी विजिलेंस पर पिछले साल तैनात किए गए थे. उन्हें हाईटेक पुलिसिंग के लिए जाना जाता है. एडीजी रहते हुए उन्होंने आपरेशन पहचान एप के माध्यम से अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाया. महिला बीट, एंटी रोमियो स्क्वाड की ऑनलाइन मॉनिटरिंग का सिस्टम को भी इस साफ्टवेयर में रखा.
ई-मालखाने से मुकदमों का ऑनलाइन रिकॉर्ड तक उनके अलग सोच का परिणाम रही है. साइबर अपराध के क्षेत्र में भी राजीव कृष्ण ने बड़ा अभियान चलाया. उनके स्तर पर पुलिस को प्रशिक्षित करने से लेकर लोगों को भी जागरूकता का अभियान चलाया.
इंजीनियरिंग के बाद आईपीएस:
राजीव कृष्ण यूपी की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं. उनका जन्म 20 जून 1969 को हुआ था. उन्होंने बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन की पढ़ाई की. इसके बाद यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए. यूपीएससी की ओर से 1991 में उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की. आईपीएस के रूप में उनका सेलेक्शन हुआ.
1993 में आईपीएस कंफर्मेशन के बाद उनका सीनियर स्केल में प्रमोशन 10 अक्टूबर 1995 को हुआ. सेलेक्शन ग्रेड में 9 अगस्त 2005 को उनका प्रमोशन हुआ. 7 अगस्त 2007 को वे डीआईजी पोस्ट पर प्रमोट किए गए. वहीं, 9 नवंबर 2010 को आईजी के रूप में उनका प्रमोशन हुआ. राजीव एक जनवरी 2016 को एडीजी बनाए गए. इसके बाद पिछले माह एक फरवरी को उन्हें डीजी पोस्ट पर प्रमोट किया गया था.