
नई दिल्ली। आज के मॉर्डन युग में हर कोई इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है। इंटरनेट पर बढ़ते यूजर्स के साथ-साथ घोटाले और हैकिंग के प्रयास भी बढ़ते जा रहे हैं। आज के समय में ज्यादातर लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन व्हाट्सएप ने खुद हाल ही में खुलासा किया है कि दो दर्जन से अधिक देशों में उसके लगभग 90 उपयोगकर्ताओं को जीरो क्लिक हैक का उपयोग करके हैकरों ने निशाना बनाया है। लेकिन आखिर ये जीरो क्लिक हैक है क्या। आइए जानते हैं इसके बारे में।
बता दें, व्हाट्सएप ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से जानकारी दी कि पूरी दुनिया के दो दर्जन से ज्यादा देशों में करीब 90 यूजर्स को हैकर्स ने इजरायली कंपनी पैरागॉन सॉल्यूशंस के एडवांस्ड स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके निशाना बनाया है। इस स्पाइवेयर की मदद से हमलावर यूजर के किसी भी क्लिक की जरूरत के बिना ही टारगेट सिस्टम की जानकारी तक पहुचने में सक्षम हैं। दरअसल, स्पाइवेयर ने पत्रकारों और नागरिक समाज के सदस्यों सहित सभी तरह के लोगों को निशाना बनाया है।
तो चलिए अब जानते हैं आखिर ये स्पाईवेयर है क्या। जैसा कि इसके नाम ‘जीरो-क्लिक हैक’ से साफ पता चलता है, कि ये एक रिफाइन्ड साइबर हमला है जो हैकर्स को टारगेट यूजर से किसी भी तरह की बातचीत के बिना ही उसके डिवाइस में घुसपैठ करने की अनुमती देता है।
हैकिंग के दूसरे किसी तरीकों के विपरीत, इस हमले में हैकर्स यूजर्स के किसी भी लिंक पर क्लिक किए या किसी भी वायरस वाले फाइल को डाउनलोड किए बिना ही हैकर्स उनके डिवाइस को कंट्रोल करने में सक्षम होते हैं। इसके लिए हैकर्स सॉफ्टवेयर की कमजेरियों का फायदा उठाते हैं।
अब जानते हैं आखिर ये काम कैसे करते हैं। दरअसल, जब किसी यूजर को कोई मैलिशियस फाइल मिलती है, तो डिवाइस का ऑपरेटिंग सिस्टम अनजाने में उसे प्रोसेस कर देता है। जिसके जरिए हैकर्स यूजर्स के मैसेज, कॉल, फोटो और यहां तक की माइक्रोफोन और कैमरा तक एक्सेस करने में सक्षम हो जाता है।