खाने की आदतों में बदलाव से हो रहा आर्थिक और शारीरिक नुकसान, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली । खाने की आदतों में बदलाव से पर्यावरण के साथ आर्थिक और शारीरिक नुकसान हो रहा है। विश्व खाद्य संगठन (डब्ल्यूएफओ) के नवीनतम आकलन स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर 2024 के अनुसार, दुनिया भर में खाद्य प्रणाली से होने वाले इस नुकसान की लागत करीब 12 लाख करोड़ डॉलर है। दुनिया के 157 देशों की खाद्य प्रणाली पर किए इस अध्ययन में भारत में यह लागत 1.3 लाख करोड़ डॉलर (110 लाख करोड़ रुपए) है। भारत में कृषि खाद्य प्रणाली की लागत दुनिया में चीन और अमरीका के बाद तीसरी सबसे अधिक आंकी गई है। चीन में यह नुकसान 1.8 लाख करोड़ डॉलर और अमरीका में 1.4 लाख करोड़ डॉलर आंका गया है। भारत में इसकी वजह मुख्य रूप से सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक कारणों के चलते आंकी गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में खाद्य प्रणाली में आने वाले बदलावों के चलते एक तरफ जहां प्रोसेस्ड खाद्य फूड और एडिटिव्स का उपभोग बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ पौधों से आने वाले साबुत फल-अनाजों का उपभोग कम हो रहा है। इससे भारत में हार्ट के और डायबिटीज जैसे गैर संक्रामक रोग बढ़ रहे हैं। भारत में इन रोगों के कारण होने वाला नुकसान 79 लाख करोड़ रुपए का आंका गया है जो पर्यावरण और सामाजिक असमानता के कारण होने वाले नुकसान से ज्यादा है। खाद्य प्रणाली में बदलाव से तात्पर्य इनके उत्पादन, प्रसंस्करण, वितरण और उपभोग में होने वाले बदलाव से है।

परंपरागत खाद्य प्रणाली से नुकसान कम

भारत की पारंपरिक कृषि खाद्य प्रणालियों में चीनी, नमक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बचने के कारण, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय का दो-तिहाई नुकसान कम होता है। स्वास्थ्य प्रभावों की जांच करते रिपोर्ट में 13 आहार जोखिम कारकों की पहचान की गई है। इनमें साबुत अनाज, फलों और सब्जियों का अपर्याप्त सेवन, अत्यधिक चीनी और सोडियम का सेवन, रेड और प्रसंस्कृत मांस का अधिक सेवन शामिल है।

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