खुशखबरी : Oxygen Plants चालू करने के लिए स्टरलाइट पहुंचा सुप्रीम कोर्ट !

बुधवार करीब 8 बजे दिल्ली पटपड़गंज में स्थित मैक्स अस्पताल ने दिल्ली कोर्ट में ऑक्सीजन की कमी को लेकर याचिका डाली। कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह ज्ञात हुआ कि फिलहाल देश में 8000 MT ऑक्सीजन की जरूरत है, जबकि 7200 MT ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में एक स्टरलाइट इंडस्ट्रीज बड़ी आसानी से 1000 MT ऑक्सीजन प्रदान कर सकता था।स्टरलाइट कॉपर प्लांट COVID -19 संक्रमण की दूसरी लहर के कारण मांग और आपूर्ति के बीच की कमी को पूरा करने के लिए तमिलनाडु के तुत्तुकुडी जिले  में अपने दो ऑक्सीजन प्लांट में उत्पादन को फिर से शुरू करना चाहता है। स्टरलाइट कॉपर प्लांट ने इस संदर्भ में देश के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन सिंह और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी को पत्र लिखा है। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पंकज कुमार ने कहा कि तुत्तुकुडी में कंपनी के कॉपर प्लांट में दो ऑक्सीजन प्लांट है, जिसमें प्रतिदिन 1,000 टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

कुमार द्वारा ऐसा ही एक पत्र पलानीस्वामी को भी लिखा गया है, जिसमें ऑक्सीजन की कमी के कारण पैदा हुए संकट को हल करने के लिए कंपनी ने अपनी रूचि व्यक्त की है।

पंकज कुमार ने पत्र में लिखा है कि, “हम आपके उपयोग के लिए इन सुविधाओं को मुहैया करना चाहते हैं। यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राष्ट्र में महत्वपूर्ण वस्तु की कमी न हो और हम इस महत्वपूर्ण समय पर हम पीएम के सराहनीय प्रयासों का साथ देना चाहते हैं।”

स्टरलाइट कॉपर प्लांट ने देश में ऑक्सीजन की कमी को पूर्ति करने के लिए आज सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका डाली है। केंद्र सरकार ने वेदांता के अनुरोध का समर्थन किया है। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि “वेदांता को केवल स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए ऑक्सीजन के निर्माण को चालू करने की अनुमति दी जाए।” मेहता ने आगे कहा कि, “इस समय पर्यावरणीय विचारों की तुलना में मानव जीवन अधिक महत्वपूर्ण है।”

बता दें कि तमिलनाडु का स्टरलाइट कॉपर प्लांट साल 2018 में इको- फैसिस्ट्स के विरोध के कारण बंद करना पड़ा था। उसके बाद से स्टरलाइट कॉपर प्लांट का मुद्दा उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक उलझकर रह गया है। आज अगर स्टरलाइट कॉपर प्लांट चल रहा होता तो न जाने कितने लोगों की जान बचाई जा सकती थी। 

भारत में वामपंथियों ने इको- फैसिस्ट्स का चोला पहन कर ऐसे कई प्रगतिशील प्रॉजेक्ट को रोक दिया है। उदाहरण के लिए आप मुंबई के मेट्रो शेड प्रोजेक्ट को ही देख लीजिए। वामपंथियों के कारण आज मुम्बई मेट्रो का काम पीछे रह गया है। तमिलनाडु में तो वामपंथियों ने स्टरलाइट कॉपर प्लांट को रोकने के लिए हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था।  आज देश में हर जगह ऑक्सीजन की कमी है, जिसे स्टरलाइट कॉपर जैसी कंपनियां ही दूर कर सकती हैं, न की कोई इको- फैसिस्ट्स।

खबरें और भी हैं...