माँ बनना हर महिला का सपना होता है। लेकिन जरा सोचिये जब किसी प्रेग्नेंट महिला को यूँ ही कह दिया जाता है की बच्चा गिरा दो या अबो्र्ट कर दो, तो उस महिला पर क्या बीतती होगी। लोग सिर्फ इस वजह से अक्सर बच्चा गिरा देते हैं की वो लड़की है या फिर अभी बच्चा नहीं चाहिए बोलकर अजन्मे बच्चे से अपना पीछा तो छुड़ा लेते हैं लेकिन इस बारे में कोई नहीं सोचता की आखिर उस माँ और उस बच्चे पर क्या गुजरती है जिसे इस दुनिया में आने से पहले ही ख़त्म कर दिया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं की एक एबॉर्शन की प्रक्रिया के दौरान एक महिला को कितने कष्ट से होकर गुजरना पड़ता है और साथ ही उस अजन्मे बच्चे का क्या होता है इसके बारे में भी बताएंगे।
एक महिला ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये बताई एबॉर्शन की दर्दनाक कहानी
आपको बता दें की अभी हाल ही में फिलिसिया कैश नाम की एक महिला ने अभी हाल ही में अपने सोशल मीडिया अकॉउंट पर एक पोस्ट के जरिये गर्वपात के दौरान होने वाले असहनीय फिजिकल और इमोशनल दर्द को बयां किया है जिसकी आम लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। फिलिसिया ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये बताया है की जो लोग एबॉर्शन को एक आसान प्रक्रिया समझते हैं उन्हें मैं बता देना चाहती हूँ की एबॉर्शन एक बहुत ही ज्यादा कष्टदायक प्रक्रिया है जिसमे एक माँ के साथ उसके बच्चे को भी उतनी ही तकलीफ होती है। इस महिले ने आगे बताया की बहुत से लोग ये मानते हैं की बच्चे जब माँ की गर्भ में आता है तो उसकी धड़कन कुछ हफ़्तों के बाद विकसित होती है जबकि ये बात बिल्कुल गलत है। एक बच्चे के गर्भ में आने के साथ ही सबसे पहले उसकी धड़कन विकसित होता है जिससे की उसके शरीर में ब्लड का फ्लो बना रहता है।
महज तीन महीने में ही बच्चे का अंग विकसित होना शुरू हो जाता है
फिलिसिया नाम की इस महिला ने फेसबुक पोस्ट के जरिये बताया है की उसने हाल ही में अपने साढ़े तीन महीने के बेटे को खोया है। एक दुर्घटना की शिकार हुई इस महिला ने बताया की वो 14 हफ़्तों की प्रेग्नेंट औरत थी लेकिन एक दुर्घटना ने उससे उसका बच्चा छीन लिया। इनकी माने तो अबो्र्ट हुए बच्चे के शरीर का लगभग ही अंग विकसित हो चूका था यहाँ तक की उसके नाख़ून भी आने शुरू हो चुके थे। वो लोग जो इस बात को गलत मानते है की की सिर्फ तीन महीने में अच्छे का विकास नहीं होता वो इ जाना लें की माँ के गर्भ में आने के पहले दिन से ही बच्चे के शरीर का विकास होना शुरू हो जाता है। महिलाओं के गर्भधारण के महज सोलह दिनों के अंदर ही बच्चे की धड़कन विकसित हो जाती है जिसे आप सोनोग्राफी के जरिये सुन भी सकते हैं। इसके अलावा महज 6 हफ़्तों में ही बच्चे के कान आँख और अन्य अंग भी विकसित होने शुरू हो जाते हैं।
हॉस्पिटल में होने वाला एबॉर्शन होता है बेहद दर्दनाक
अक्सर लोग जब ये फैसला लेते हैं की उन्हें अभी बच्चा नहीं चहिये और इस वक़्त एबॉर्शन करवा लेना ही बेहतर है, उन्हें ये बात जरूर जान लेनी चहिये की ये कोई आसन प्रक्रिया नहीं होती बल्कि एक औरत को अपार दर्द से होकर गुजरना पड़ता है। बता दें, हॉस्पिटल में करवाए जाने वाले गर्भपात को मेडिकल टर्म में सेलाइन एबॉर्शन कहा जाता है। ये एक बेहद कष्टदायक प्रक्रिया होती है जिसमे एक ख़ास प्रकार के इंजक्शन को प्रेग्नेंट महिला के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है जिसके प्रभाव से अंदर सांस ले रहे बच्चे की मौत हो जाती है। इस अमानवीय प्रक्रिया में इंजेक्ट किये गए इंजेक्शन का प्रभाव इतना भयानक होता है की ये गर्भ में पल रहे बच्चे का फेफड़ा और स्किन तक जला देता है जिससे बच्चे की मौत हो जाती है। आपको जानकर अचम्भा होगा की इसके बाद प्रेग्नेंट महिला का एक नार्मल प्रेग्नेंसी करवाई जाती है और बहुत सारे केसे में तो ऐसा भी देखा गया है की बच्चा इंजेक्शन देने के वाबजूद भी जिन्दा बच जाते हैं लेकिन उसे कोई देखने वाला नहीं होता है, उसे यूँ ही मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।
तो अगली बार अगर अपने आस पास किसी को एबॉर्शन जैसे काम करते हुए देखे तो एक बार उन्हें इस बारे में जरूर बताएं ताकि उस अजन्मे बच्चे की जान बच सके।
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