
आपने अपने आसपास या सफर करते समय बस या ट्रेन में किन्नरों को जरूर देखा होगा। ये अक्सर सड़क पे गाते बजाते और लोगों से पैसे वसूलते दिख जाते है, लेकिन आपने कभी ये सोचा है की आखिर किन्नरों का जन्म कैसे होता है ? आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें की किन्नरों में पुरुष और स्त्री दोनों के गुण पाए जाते है, यही वजह है की भारतीय समाज आज भी इन्हें अपनाने से और समाज में जगह देने से इंकार करता है।
आज हम आपको बताने जा रहे है की आखिर कैसे होता है एक किन्नर का जन्म !
मेडिकल साइंस की माने तो महिला जब गर्भवती होती है तो 3 माह के बाद शिशु का विकास होना शुरु हो जाता है। इसी बीच अगर मां को कोई बीमारी या समस्या हो जाती है, तो गर्भ में हार्मोंन्स की समस्या के कारण शिशु के अंदर महिला और पुरुष दोनों के ऑर्गन्स आ जातें है।
दवा लेना भी हो सकता है नुकसान दायक
गर्भावस्था के दौरान अगर माँ कोई दवा लें और वो नुकसान कर जाए तो उससे भी होने वाला शिशु किन्नर हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान अगर माँ को बहुत तेज़ बुखार हो या तबियत ख़राब हो जाए तो इसका असर भी होने वाले शीशी के लिंग पर पड़ सकता है।
अनचाही दुर्घटना भी हो सकता है कारण
गर्भावस्था के दौरान अगर माँ किसी अनचाहे दुर्घटना का शिकार होजाये तो इससे भी होने शिशु का किन्नर होने का चांस बढ़ जाता है।
गर्भपात की दवा लेना भी है एक वजह
अगर कोई महिला गर्भपात करने के लिए डॉक्टर की सलाह पे कोई हैवी मेडिसिन लेती है तो आगे जाकर भविष्य में उसका होने वाला बच्चा किन्नर पैदा हो सकता है।
तो ये थीं किन्नर पैदा होने के पीछे छिपी कहानी जिसे हमारा समाज नज़रअंदाज़ करता आया है ,उन्हें याद रहता है तो सिर्फ ये की सामने वाला एक किन्नर है। भारतीय समाज में किन्नरों की हालत में लगातार सुधार हो रहे है जो की सराहनीय है।















