गोरखपुर में अपराधियों के गिरोह ने लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए निकाला ये नया तरीका, रुपये दो या दुष्कर्म के आरोप में जाओ जेल…

 दुष्कर्म महिलाओं के खिलाफ होने वाले सबसे जघन्य और घिनौने अपराधों में से एक है। ऐसे अपराधियों के खिलाफ कानून सख्त है। लेकिन जिले में एक ऐसा गिरोह है जो किसी व्यक्ति को दुष्कर्म के झूठे आरोप में फंसा देता है। एक माह के भीतर ऐसा दूसरा मामला एसएसपी के सामने आया है। दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज होने के भय में रेलकर्मी का परिवार कई साल तक परेशान रहा। रीना, सरिता, अंगिमा, इंद्रावती देवी और प्रेमशीला नाम से रेलकर्मी व उसके तीन बेटों के खिलाफ शिकायत आती रही। मुकदमा दर्ज होने का झांसा देकर अधिवक्ता उनके साथ ठगी कर रहा था। एसएसपी के आदेश पर कैंट पुलिस ने अधिवक्ता के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का मुकदमा दर्ज किया है।कैंट पुलिस गिरोह से जुड़े लोगों की तलाश कर रही है।

यह है मामला

पीपीगंज के मोहम्मदपुर खास, पचवारा गांव की सरोज देवी पिछले दिनों अपने परिवार के साथ एसएसपी डा. विपिन ताडा के पास पहुंची। उन्होंने बताया कि पति रामप्रकाश रेलवे में कर्मचारी हैं। बेटा इंटरमीडिएट का छात्र है।2015 में पट्टीदार से जमीन को लेकर विवाद हो गया था। जिसके बाद वह दीवानी कचहरी के अधिवक्ता शिवशंकर के पास मुकदमे के संबंध में जानकारी लेने पहुंची। मुकदमे के संबंध में वह कचहरी आती जाती रहीं। कुछ दिनों बाद अधिवक्ता ने बताया कि आपके बड़े बेटे के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दाखिल है। रुपये का इंतजाम करो नहीं तो बेटे का जीवन बर्बाद हो जाएगा। मुकदमा खत्म कराने के लिए उन्होंने 35 हजार रुपये लिए। कुछ दिन बाद मुकदमा खत्म होने का नकल दिया। कुछ दिनों बाद अधिवक्ता ने फिर बताया कि पति व तीनों बेटों के खिलाफ रीना नाम की महिला ने दुष्कर्म का मुकदमा किया है। जिसे खत्म कराने के लिए उन्होंने 25 हजार रुपये लेकर नकल की कापी दी। दो माह बाद बताया गया कि सरिता नामक महिला ने आपके पति पर मुकदमा किया है। जिसमें आपके पट्टीदार गवाह हैं। इसकी चर्चा किसी से मत करना नहीं तो पति की नौकरी चली जाएगी।

साजिश कर फंसाया

अधिवक्ता के कहने पर मुकदमा खत्म कराने के लिए उसने 24 हजार रुपये दिए। लेकिन डर की वजह से किसी को कुछ नहीं बताया। आठ अक्टूबर 2020 को परिवार न्यायालय गोरखपुर की तरफ से जारी एक नोटिस लेकर पोस्टमैन उनके घर आया। जिसमें श्रीमती अग्रिमा बनाम उनके बड़े बेटे रमाकान्त के साथ ही वाद सं0-203/2020 लिखा हुआ था। महिला को न जानने की जानकारी देते हुए उन्होंने पत्र नहीं लिया। पत्र के बारे में उन्होंने जानकारी की तो पता चला कि परिवार या किसी भी न्यायालय में इस नाम से कोई वाद दायर नहीं है। छानबीन करने पर पता चला कि यह अधिवक्ता की साजिश है। 12 अक्टूबर 2020 को उन्होंने अधिवक्ता को फोन कर मुकदमे के बारे में बताया। आधे घंटे बाद उन्होंने फोन करके कहा कि मुकदमे का पेपर मिल गया है। 30 हजार रुपये की व्यवस्था करो मुकदमा खत्म हो जाएगा। इस घटना के बाद अधिवक्ता के करतूत का पता चल गया। उन्होंने रुपये देने से इन्कार कर दिया। इसी दिन शाम को पीपीगंज थाने से पहुंचे दो सिपाहियों ने बताया कि इंद्रावती नाम की महिला ने आपके खिलाफ शिकायत की है। छानबीन करने पर पता चला कि जनसुनवाई पोर्टल पर जिस मोबाइल नंबर से शिकायत की गई है वह अधिवक्ता का है

फर्जी मैसेज भेज दी मुकदमा दर्ज होने की जानकारी

सरोज देवी ने बताया कि 15- अक्टूबर 2020 की शाम को उनके मोबाइल नंबर पर न्यायालय के पोर्टल जैसा मैसेज आया जिसमें dj: Criminal Misc/572/2020 indrawati Vs ramakant, Listed on 16-10-2020 court ADI/SPCL JUDGEPOCSO CN-4 लिखा था। मैसेज के बारे में जानकारी किया गया तो पता चला कि न्यायालय में इस तरह का कोई वाद दायर नहीं है। इसके बाद दो जनवरी को cjm: Criminal Misc/81/2019 STATE VS RAMPRAKASH OTHER Listed on 02-01-2021 cour: Judicial Magistrate-2 का मैसेज सरोज के मोबाइल पर आया।पहले की तरह यह मैसेज भी फर्जी था।

दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज होने की झूठी सूचना व कूटरचित दस्तावेज तैयार करने वाले अधिवक्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कैंट पुलिस मामले की जांच कर रही है।यह मामला गंभीर है,जो भी इस कृत्य में शामिल होगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। एक माह के भीतर इस तरह का यह दूसरा मामला सामने आया है। – डा. विपिन ताडा, एसएसपी।

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