नई दिल्ली। चीन भारत से टक्कर लेने के लिए हमेशा से ही अन्य पड़ोसी देशों में अपने रिश्तों और इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त करने का भरपूर प्रयास करता है। ताकि वह भारत के सामने अपनी धाक जमा सके। हालांकि, ड्रैगन को अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है। लेकिन पिछले कई सालों से चीन को असफलता ही हाथ लग रही है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि श्रीलंका और नेपाल में ड्रैगन के मंसूबो पर पानी फिर चुका है। दरअसल, कुछ दिनों पहले नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड चीन के दौरे पर गए थे। यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधो पर आपसी सहमति भी बनी थी, मगर पहले के मुकाबले नेपाल और चीन के रिश्तें सामान्य नहीं लगे।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने रविवार को संसद में चीन दौरे के संदर्भ में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि चीन के नेताओं से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत हुई। जिनमें नई ट्रांसमिशन लाइन को बनाने का कार्य, बॉर्डर पर सोलर पावर प्लांट को इंस्टॉल करना, रोड और हॉस्पिटल जैसे कार्यों में प्रगति लाने के कार्य शामिल हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री प्रचंड की इस बात का धरातल से कोई ताल्लुकात नहीं है। यदि नेपाल और चीन के संबंधो के इतिहास पर नजर डालें तो पहले भी दोनों मुल्क के बीच कई तरह के प्रोजेक्ट डील को लेकर खबरें सामने आई थीं। हालांकि, अब नेपाल में चीन के प्रोजेक्ट महज कागजों में ही सिमट कर रह गए हैं।
भारत-नेपाल के रिश्तों में लगातार हो रही सुधार
इधर, बात भारत और नेपाल के बीच संबधों की करें तो बीते एक-दो सालों में दोनों देशों के बीच आपसी तालमेल बेहतर हुए हैं। साथ ही, भारत के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट नेपाल में काफी तेजी से चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, इन कार्यों की पूर्ति के लिए नेपाल को भारत की ओर से लगभग 63 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। सूत्रों के हवाले से पता चलता है कि चीन की तरफ से नेपाल के प्रधानमंत्री को करीब 12 प्रोजेक्ट का आश्वासन मिला है।
भारत ने पूरे किए ज्यादातर प्रोजेक्ट्स के काम
वहीं, साल 2018 में भारत की ओर नेपाल में कई प्रोजेक्ट्स का आगाज हुआ था। इनमें से ज्यादातर प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं। इसके अलावा नेपाल में रक्षा के इंतजाम को बेहतर और स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के मकसद से भी भारत अब तक सफल रहा है। माना जा रहा है कि भारत जल्द से जल्द नेपाल को रोडवेज की सहायता से कनेक्ट कर सकता है। बता दें, नेपाल में 22 प्रोजेक्ट के कार्य को पूरा करने के लिए भारत ने उसे 1.65 अरब डॉलर प्रदान किए थे।
भारत के इन प्रोजेक्ट्स पर नेपाल में काम जारी
नेपाल में भारत के कई अहम प्रोजेक्ट्स पर काम जारी है। इनमें सें कुछ प्रोजेक्ट्स के नाम हैं, बीरगंज और बिराटनगर, मोतिहारी-अमलेखगुंज पेट्रोलियम प्रोडक्ट पाइपलाइन, तराई रोड प्रोजेक्ट, जयनगर -कुर्था-बिजलपुर रेल लिंक शामिल हैं।
अटक रहे हैं चीन के ड्रीम प्रोजेक्ट
जहां एक तरफ नेपाल में भारत के कई प्रोजेक्ट का काम जोरों-शोरों से चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर नेपाल में चीन के प्रोजेक्ट की रफ्तार काफी सुस्त दिखाई दे रही है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में से एक बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) नेपाल में अब तक पैर नहीं पसार पाया है। हैरानी की बात यह कि दोनों देशों के बीच इस प्रोजेक्ट पर साल 2017 में ही आपसी सहमति बन गई थीं, मगर तब से लेकर अब तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। इतना ही नहीं बीआरआई प्रोजेक्ट के मुद्दें पर भी विदेश मंत्री ने सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, बीआरआई प्रोजेक्ट के काम को शुरू करने के लिए चीन की ओर से नेपाल पर लगातार जोर दिया जा रहा है, बावजूद इसके अभी तक प्रोजेक्ट ना शुरू होने का कारण पता नहीं चल पा रहा है।