शंघाई(ईएमएस)। चीन अपनी हरकतों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। वो कब क्या कर दे कोई नहीं जानता है। ऐसे में दुनिया के तमाम देश उसके एक एक कदम पर नजर भी रख रहे हैं। हाल ही में चीन ने ढाई किलोमीटर गहरी एक प्रयोगशाला बनाई है। इसमें कौन सा प्रयोग होगा ये कोई नहीं जानता है। चीनी वैज्ञानिकों ने इस लैब में काम करना भी शुरू कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के दक्षिणी-पश्चिमी सिचुआन प्रांत में 2400 मीटर गहरी लैब तैयार की गई है। दावा किया गया है कि यह लैब कई ऐसे राज खोलेगी जो अभी भी वैज्ञानिकों की नजर में रहस्य बने हुए हैं।
चीन की नजर चांद पर भी है। रूस और चीन पहले ही चांद पर अपना बेस बनाने की बात कह चुके हैं। ऐसे में सवाल है कि नई लैब से चीन क्या-क्या नए काम करने की तैयारी में है और इतनी गहराई में लैब बनाने की नौबत क्यों आई। कितनी खास है नई लैब और क्यों बनाई गई? रिपोर्ट के मुताबिक, गहरी होने के साथ लैब में अल्ट्रा लो रेडिएशन बैकग्राउंड की भी सविधा है।
चीनी वैज्ञानिकों का मानना है कि डार्क मैटर लम्बे समय से रहस्य बना हुआ है। इसकी बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। नई लैब डार्क मैटर से जुड़े सवालों के जवाब देने में मदद करेगी। इसे जिनपिंग लैब नाम दिया गया है। डार्क मैटर क्या है, अब इसे भी समझ लेते हैं। दरअसल, इसे देखा नहीं जा सकता।
डार्क मैटर वाले हिस्से में न तो किसी तरह की एनर्जी है और न ही प्रकाश। इसलिए इसका पता लगाना मुश्किल है। अब चीनी वैज्ञानिक इससे जुड़ सवालों के जवाब ढूंढकर इतिहास रचना चाहते हैं। हालांकि, यह इतना आसान नहीं है। लेकिन उनका दावा है कि चीन में इसकी खोज करना दुनिया के दूसरे हिस्से के मुकाबले थोड़ा ज्यादा आसान है। चीन की इस अंडरग्राउंड लैब के पहले चरण का काम 2010 में पूरा हो गया था, लेकिन इसे अब पूरी तरह से काम करने लायक बनाया जा सका है। ऐसे में सवाल उठता है कि डार्क मैटर से जुड़े सवालों के जवाब जानने के लिए इतनी गहरी लैब क्यों खोदी गई है। चीनी वैज्ञानिकों ने इसका जवाब दिया है। लैब के वैज्ञानिकों का कहना है कि हम जितनी गहराई में जाएंगे वहां उतनी ही कॉस्मिक किरणों को रोक सकेंगे. इस तरह वैज्ञानिकों ने गहराई में बनी लैब को डार्क मैटर पता लगने के लिए सबसे बेहतर माना गया है। वैज्ञानिकों ने इसे आदर्श अल्ट्रा क्लीन जगह बताया है। चीनी मीडिया में यह भी कहा गया है डार्क मैटर में नई तरह की खोज करने के लिए पूरी दुनिया में चीन से बेहतर जगह नहीं है। इसलिए इससे जुड़े नए जवाबों के मिलने की उम्मीद ज्यादा है। वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है, डार्क का पता लगाने के लिए जो सुविधाएं इस लैब में दी गई हैं, वो और कहीं नहीं हैं।