चुनाव आयोग बिहार में गुप्त रूप से लागू कर रहा एनआरसी…सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा आरोप

नई दिल्ली, । एआईएमआईएम अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाकर दावा किया है कि आयोग बिहार में गुप्त रूप से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जैसी प्रक्रिया को लागू कर रहा है। सांसद ओवैसी के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह के नियम लागू करना गरीबों और विशेषकर सीमांचल जैसे क्षेत्रों में निवासरत लोगों के मताधिकार पर हमला है।

ओवैसी ने पोस्ट में लिखा कि अब वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए नागरिकों को दस्तावेजों से साबित करना होगा कि वे और उनके माता-पिता कब और कहाँ पैदा हुए थे। यह सीधा-सीधा एनआरसी की तर्ज पर की जा रही कार्रवाई है।” ओवैसी ने बताया कि भारत में केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं। बाढ़ और गरीबी से प्रभावित सीमांचल जैसे इलाकों में रहने वाले लोगों के पास अक्सर दस्तावेजों की भारी कमी होती है।

चुनाव से ठीक पहले ऐसी प्रक्रिया लागू करना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। ओवैसी ने अपनी बात को मजबूती देकर 1995 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें मतदाता पंजीकरण के लिए मनमानी प्रक्रियाओं पर आपत्ति जाहिर की थी। क्या है चुनाव आयोग का पक्ष? इस पर निर्वाचन आयोग की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन यह स्पष्ट है कि ओवैसी के बयान ने चुनावी माहौल में संवेदनशीलता को और बढ़ा दिया है।

बात दें कि बिहार के सीमांचल, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में इसका राजनीतिक असर गहरा हो सकता है। यदि दस्तावेजों के आधार पर ही मतदाता तय किए जाते हैं,तब बड़ी संख्या में गरीब और वंचित तबके बाहर हो सकते हैं।

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