छोटा फिल्मी करियर और उससे भी छोटी जिंदगी, ऐसी थी इस सुपरहिट हिरोइन की स्टोरी

स्मिता पाटिल वो नाम है, जिन्होंने भले ही बहुत कम समय के लिए काम किया हो, लेकिन हिंदी सिनेमा उन्हें कभी नहीं भूल पाएगा। सिर्फ 10 सालों में उन्होंने जिस तरह इस इंडस्ट्री में अपने पैर जमाए थे, उसका मुकाबला करना किसी भी एक्टर के लिए आसान नहीं था। लेकिन शायद स्मिता के स्टारडम और जिंदगी की जर्नी काफी छोटी थी।

न्यूज रीडर के तौर पर हुई थी शुरूआत :

17 अक्टूबर 1955 को पुणे में जन्मी स्मिता पाटिल ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक न्यूज रीडर के तौर पर की थी। साल 1970 में उन्होंने दूरदर्शन के लिए एंकर के रूप में कार्य करना शुरू किया था और फिर चार सालों के बाद साल 1974 में उन्होंने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा। यह उनकी दमदार एक्टिंग का ही कमाल था कि वह कुछ ही सालों में न सिर्फ हिंदी बल्कि मराठी सिनेमा का भी नामी चेहरा बन गईं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

चार सालों में ही नतमस्तक हुआ राष्ट्र :

अपने 10 साल के कॅरियर में उन्होंने करीब 80 फिल्मों में काम किया, जिनमें से ज्यादातर हिट रहीं। कॅरियर शुरू करने के महज चार सालों के अंदर ही उन्होंने नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर लिया। साल 1977 में उन्हें फिल्म ‘भूमिका’ के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। वहीं साल 1980 में फिल्म ‘चक्र’ में अपनी दमदार अदाकारी के लिए उन्हें दूसरा नेशनल अवॉर्ड मिला। साल 1985 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया और वो हर एक्टर के लिए एक प्रेरणा बन कर उभरीं।

शादीशुदा एक्टर के साथ लिव इन में थीं स्मिता :

स्मिता पाटिल जितनी अपनी एक्टिंग के लिए जानी जाती थी, उतनी ही सुर्खियों में उनकी पर्सनल लाइफ भी रही है। एक समय ऐसा था जब पहले से शादीशुदा एक्टर राज बब्बर के साथ उनके रिश्ते को लेकर हर कोई बातें करने लगा था। उस दौरान स्मिता को चारों ओर से आलोचना झेलनी पड़ी थी। राज बब्बर स्मिता के लिए अपनी पत्नी नादिरा और बच्चों तक को छोड़ आए थे। इसके बाद राज और स्मिता काफी समय तक लिव इन में रहे और फिर दोनों ने शादी कर ली।

मरने से पहले जाहिर की थी आखिरी इच्छा :

28 नवंबर 1986 को स्मिता ने अपने पहले बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म दिया। लेकिन इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। कुछ दिनों में ही उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा, जहां एक-एक कर उनके सारे आॅर्गन फेल होने लगे और अंत में 13 दिसंबर 1986 को उनका महज 31 साल की उम्र में निधन हो गया। स्मिता की आखिरी इच्छा थी कि उनकी मौत के बाद उन्हें एक सुहागिन की तरह सजाया जाए, जिसे पूरा भी किया गया।

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