जानिए कौन हैं ‘ब्रेस्ट पकड़ना और नाड़ा खोलना रेप नहीं’ वाले फैसले पर रोक लगाने वाले SC के दोनों जज?

इलाहाबाद हाईकोर्ट के नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के प्रयास के आरोपों पर दिए गए बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कड़ी आपत्ति जताई और इसे गंभीर चिंता का विषय बताया. कोर्ट ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर इस पर जवाब मांगा है. दरअसल, 17 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा था कि लड़की का ‘ब्रेस्ट पकड़ना और नाड़ा खोलना रेप नहीं’.

इस फैसले पर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया आई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए इसे न्याय के सिद्धांतों के विपरीत बताया. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की. आइये जानते हैं दोनों जजों के बारे में… 

कौन हैं जस्टिस बीआर गवई?

जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती, महाराष्ट्र में हुआ. उन्होंने 16 मार्च 1985 को लॉ के क्षेत्र में कदम रखा और बार में शामिल हुए. अपने करियर की शुरुआत उन्होंने स्वर्गीय राजा एस. भोंसले, जो कि महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे, के साथ काम करके की. 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की और इसके बाद मुख्य रूप से नागपुर पीठ के समक्ष संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में विशेष वकालत की.

नागपुर में की वकालत

नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील के रूप में अपनी सेवाएं देने के साथ ही वे SICOM, DCVL और विदर्भ क्षेत्र की विभिन्न नगर परिषदों के लिए भी नियमित रूप से पेश हुए. अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में कार्य किया. 17 जनवरी 2000 को उन्हें नागपुर पीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया.

23 नवंबर को होंगे रिटायर

14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 12 नवंबर 2005 को वे स्थायी जज बने. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों की अध्यक्षता की. 24 मई 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

कौन हैं जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह?

जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह का जन्म 12 मार्च 1963 को रोपड़, पंजाब में हुआ था. उन्होंने प्रारंभिक स्कूली शिक्षा सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल, कसौली (हिमाचल प्रदेश) से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई सैफुद्दीन ताहिर हाई स्कूल अलीगढ़ से पूरी की. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) से विज्ञान में ऑनर्स की डिग्री हासिल की और इसके बाद एल.एल.बी. (ऑनर्स) की उपाधि प्राप्त की.

2023 में बनें SC के जज

6 जून 1987 को वे पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए. उन्होंने कांस्टीट्यूशनल, सर्विस, लेबर और सिविल लॉ के मामलों में एक्सपर्टीज हासिल की और SC, पंजाब और हरियाणा, दिल्ली तथा हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में विभिन्न मामलों की पैरवी की. वे पंजाब के महाधिवक्ता कार्यालय में सहायक महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी कार्यरत रहे. 10 जुलाई 2008 को उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई और 14 जनवरी 2011 को वे स्थायी जज बने. 30 मई 2023 को वे राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए. 9 नवंबर 2023 को उन्होंने भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और न्यायपालिका में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

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