आज के समय में लोगों के पास साधन बहुत हैं पर समस्याएं भी उतनी ही हैं, वहीं पहले के जमाने में कम संसाधनों में भी लोग बहुत खुशहाल रहते थे। दरअसल, इसका कारण ये भी है कि तभी लोग बड़े-बुजुर्गों के कहे अनुसार चलते थे और शास्त्र द्वारा बताएं नियमों का पालन करते थे। लेकिन आजकल शास्त्र और धर्म की बाते कौन मानता हैं, जबकि देखा जाए तो शास्त्रों में कही गई बातें आज भी व्यक्ति के लिए उतनी लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं। जैसे कि महान विद्वान चाणक्य की बातें आज भी बेहद प्रासंगिक मानी जाती हैं। गौरतलब है कि चाणक्य ने चाणक्य नीति के जरिए लोगों को जीवन जीने का सही मार्ग दिखलाया है। चाणक्य नीति (Chanakya niti) में लिखी गई ऐसी ही एक गूढ़ बात यहां हम आपसे साझा कर रहे हैं।
चाणक्य नीति में पुरुषों के लिए लिखी गई है गूढ़ बात
दरअसल, आचार्य चाणक्य एक महान कूटनीतिज्ञ थे, जिन्होने अपने ज्ञान और शिक्षा के दम पर चंद्रगुप्त को राजा बनाया था। ऐसे में उनकी बताई गई नीति आज भी दुनिया के राजनीतिज्ञों के लिए शोध का विषय है। जानने वाली बात ये है कि चाणक्य ने राजनीति से लेकर आम जनजीवन के लिए भी कई नीति प्रतिपादित किए हैं। जैसे व्यक्ति के सामान्य आचार विचार से लेकर उसके जीवन के हर एक विषय को लेकर कई काम की बाते बताई हैं।
नीतिशास्त्र में एक श्लोक वर्णित है, जिसमें चाणक्य ने पुरुषों के लिए कुछ ऐसी परिस्थितियां बताई हैं, जिसमें होने के चलते उनका शरीर बिना किसी वजह या कहें कि बिना आग भी जलता रहता है। दरअसल ये श्लोक कुछ इस प्रकार है…
कुग्रामवासः कुलहीन सेवा कुभोजनं क्रोधमुखी च भार्या।
पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम्॥
इस श्लोक के अर्थ की बात करें तो इसका आशय है कि अगर किसी व्यक्ति को दुष्ट प्रकृति के लोगों के गांव में रहना पड़े या कुलहीन लोग जिनका कोई समाज सम्मान न हो ऐसे लोगों की सेवा करनी पड़े, जो खाने योग्य नहीं है वो भी खाना पड़े, जिसकी हमेशा गुस्सा करने वाली और कड़वा बोलने वाली पत्नी हो, घर में मूर्ख पुत्र या विधवा पुत्री हो तो ऐसे व्यक्ति का शरीर बिना आग भी हमेशा तपता रहता है।
यानी यहां चाणक्य (chanakya niti) का आशय ये है कि हमेशा विवाह के लिए संस्कारी और समझदार स्त्री का ही चुनाव करना चाहिए।