झारखंड विस चुनाव : दूसरे चरण में कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर, इन सीटों पर रहेगी नज़र

रांची, । झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 38 सीटाें पर 20 नवंबर को मतदान होना है। आखिरी चरण में कोयलांचल और कोल्हान की सीटों पर मतदान होना है। खास बात यह है कि राज्य की सत्ता की तस्वीर झारखंड की इन 38 सीटों पर ही निर्भर है। जिन 38 सीटों पर मतदान होना है, उनमें 28 सीटों पर एनडीए और इंडी गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। इन सीटों पर राज्य के कई दिग्गज नेताओं की किस्मत दांव पर लगी है। जबकि 10 सीटें ऐसी हैं जहां त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है।

जिन दिग्गजों की चुनावी किस्मत दांव पर है उनमें हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन, बसंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी, अमर बाउरी, सीता सोरेन, सुदेश महतो शामिल हैं। सबकी नजरें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सीट बरहेट पर भी है। यहां पर मुख्यमंत्री को टक्कर देने के लिए भाजपा ने अपने कार्यकर्ता गमालियन हेंब्रम को मैदान में उतारा है। हालांकि बरहेट सीट हेमंत सोरेन के लिए सेफ मानी जा रही है, क्योंकि करीब चार दशकों से ये झामुमो का गढ़ रहा है। अगर कोई उलटफेर होता है तो इसे हेमंत की बड़ी हार के तौर पर देखा जाएगा।

गांडेय विधानसभा सीट पर कल्पना सोरेन का मुकाबला मुनिया देवी से है। कल्पना सोरेन ने यहां इसी साल हुए उपचुनाव में शानदार जीत हासिल की थी। इसके बाद से ही कल्पना यहां एक्टिव हैं और लोगों के बीच जा रही हैं। ऐसे में उन्हें चुनौती देना मुश्किल है। हालांकि दूसरी तरफ भाजपा की उम्मीदवार मुनिया देवी हैं। मुनिया देवी गिरिडीह जिला परिषद् की अध्यक्ष रह चुकी हैं और उनकी इलाके में अच्छी पकड़ है।

दुमका में बसंत सोरेन को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। यहां से उनके सामने हैं पूर्व सांसद सुनील सोरेन। दुमका को यूं तो झामुमो का गढ़ माना जाता है। यहां 1980 से साल 2000 तक झामुमो के स्टीफन मरांडी जीतते रहे। इसके बाद 2019 में यहां से हेमंत सोरेन ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2020 में उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद हुए उपचुनाव में यहां से बसंत सोरेन ने जीत दर्ज की। 2014 में यहां से भाजपा की टिकट पर लुईस मरांडी जीत चुकी हैं। इसके अलावा सुनील सोरेन दुमका के सांसद भी रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर बसंत को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

जामताड़ा सीट पर इसबार कांटे की टक्कर के आसार हैं। यहां भाजपा उम्मीदवार और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन का मुकाबला कांग्रेस के इरफान अंसारी से है। इरफान 2014 और 2019 में यहां से जीते हैं। इसके अलावा उनके पिता फुरकान अंसारी का भी इस क्षेत्र में दबदबा है। वहीं, जामताड़ा में अल्पसंख्यकों वोटरों की संख्या अच्छी खासी है जो कांग्रेस के वोटर माने जाते हैं। ऐसे में यहां सीता सोरेन को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है।

धनवार विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी हैं तो उनके मुकाबले झामुमो के अलावा माले ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है। 2019 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी ने यहां से जेवीएम की टिकट पर जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार वे भाजपा में हैं। निर्दलीय के रूप में यहां से निरंजन राय ने पर्चा दाखिल किया था, जिसकी वजह से बाबूलाल मरांडी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन अब निरंजन भाजपा में शामिल हो गए हैं, ऐसे में बाबूलाल मरांडी ने राहत की सांस ली होगी। यहां से झामुमो के निजामुद्दीन अंसारी और माले के राजकुमार यादव मैदान में हैं।

पाकुड़ विधानसभा सीट पर 2019 के चुनाव में कांग्रेस के आलमगीर आलम ने जीत दर्ज की थी। इस बार वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वे पिछले छह महीनों से जेल में हैं। लेकिन यहां से कांग्रेस ने आलमगीर आलम की पत्नी निशात आलम को उम्मीदवार बनाया है। इनसे मुकाबला कर रहे हैं आजसू के अजहर इस्लाम। इसके अलावा यहां से सपा की टिकट पर अकील अख्तर भी चुनाव मैदान में हैं।

राजमहल विधानसभा सीट पर भाजपा से अनंत ओझा उम्मीदवार हैं जबकि झामुमो ने एमटी राजा को यहां से उम्मीदवार बनाया है। यहां से अनंत लगातार 2014 और 2019 में जीत दर्ज की है। इस बार वे हैट्रिक लगाने की उम्मीद से मैदान में हैं। हालांकि झामुमो से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। बोरियो विधानसभा सीट पर झामुमो के बागी और भाजपा उम्मीदवार लोबिन हेंब्रम मैदान में हैं। यहां उनका मुकाबला झामुमो के धनंजय सोरेन से है। लोबिन इस सीट से पांच बार के विधायक रह चुके हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में उन्हें बोरियो क्षेत्र से सिर्फ 14 हजार वोट मिले थे। वहीं, यहां से जेएलकेएम प्रत्याशी सूर्य नारायण हांसदा भी हैं, जो चुनाव को रोचक बना रहे हैं।

लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर झामुमो ने इस बार हेमलाल मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा की तरफ से यहां बाबूधन मुर्मू हैं। 2019 के चुनाव में यहां से दिनेश मरांडी ने झामुमो की टिकट पर जीत दर्ज की थी। इस क्षेत्र में उनके परिवार का अच्छा खासा दबदबा है। उनके पिता साइमन मरांडी और सुशीला देवी भी यहां से विधायक रह चुके हैं। अब दिनेश भाजपा में हैं, ऐसे में देखना होगा कि वे भाजपा को वोट दिलवा पाते हैं या नहीं।

महेशपुर विधानसभा सीट पर झामुमो की टिकट पर स्टीफन मरांडी हैं तो भाजपा की टिकट पर नवीन हेंब्रम मैदान में हैं। महेशपुर को झामुमो के गढ़ के रूप में माना जाता है। ऐसे में अलग नवीन यहां जीत दर्ज करते हैं तो उन्हें एक अलग पहचान मिलेगी।

शिकारीपाड़ा सीट पर झामुमो की टिकट पर सांसद नलिन सोरेन के बेटे आलोक सोरेन मैदान में हैं। वहीं, उनके सामने भाजपा की टिकट पर पारितोष मैदान में हैं। शिकारीपाड़ा से नलिन सोरेन सात पर चुनाव जीत चुके हैं और इस बार लोकसभा में भी उन्होंने जीत दर्ज की।

नाला विधानसभा सीट पर झामुमो की टिकट पर स्पीकर रबिंद्रनाथ महतो मैदान में हैं तो भाजपा के माधव चंद्र उन्हें यहां से चुनौती दे रहे हैं। रबिंद्रनाथ ने यहां से 2014 और 2019 में जीत दर्ज की थी। ऐसे में वे हैट्रिक लगाने के इरादे से चुनाव मैदान में हैं। जामा विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला काफी रोचक है। यहां से झामुमो की टिकट पर पिछले तीन चुनावों में लगातार सीता सोरेन जीत रही थीं, लेकिन अब वे भाजपा में हैं। भाजपा से झामुमो में शामिल हुई लुईस मरांडी अब यहां से अपनी किस्मत आजमा रही हैं। यहां उनका मुकाबला भाजपा के सुरेश मुर्मू से है। पिछली बार सुरेश ने सीता सोरेन को कड़ी टक्कर दी थी।

जरमुंडी विधानसभा सीट पर कांग्रेस की टिकट पर बादल पत्रलेख चुनावी मैदान में हैं। वे झारखंड सरकार में मंत्री रहे और 2014 और 2019 में उन्होंने जीत भी दर्ज की थी। यहां उनका मुकाबला भाजपा के देवेंद्र कुंवर से है। देवेंद्र भी यहां से दो बार चुनाव जीत चुके हैं।

मधुपुर विधानसभा सीट से झामुमो की टिकट पर हफीजुल हसन मैदान में हैं वे झारखंड सरकार में मंत्री भी है। वहीं, भाजपा की टिकट से उनके सामने गंगा नारायण सिंह हैं। 2022 के उपचुनाव में भी इन दोनों प्रत्याशियों का मुकाबला हुआ था, जिसमें हफीजुल कड़े मुकाबले में जीते थे।

सारठ विधानसभा सीट पर झामुमो ने उदय शंकर उर्फ चुन्ना सिंह को उम्मीदवार बनाया है। चुन्ना यहां से अलग-अलग पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चार बार जीत हासिल कर चुके हैं। जबकि 2014 और 2019 में यहां से रणधीर सिंह ने जीत दर्ज की थी।

देवघर विधानसभा सीट पर राजद ने सुरेश पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां उनका मुकाबला भाजपा के नारायण दास से है। नारायण दास यहां से लगातार दो बार 2014 और 2019 में चुनाव जीत चुके हैं। वहीं, सुरेश पासवान में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और पिछले चुनाव में बेहद कम मतों के अंतर से हार गए थे।

पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रदीप यादव का मुकाबला भाजपा के देवेंद्र नाथ सिंह से हैं। प्रदीप यादव यहां से पांच बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि पिछले दो चुनाव उन्होंने जेवीएम की टिकट पर जीते। ये पहली बार है जब वे कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।

गोड्डा विधानसभा सीट पर भाजपा की टिकट पर अमित मंडल चुनावी मैदान में हैं। यहां उनका मुकाबला राजद के संजय यादव से है। अमित मंडल 2014 और 2019 में चुनाव जीत चुके हैं और इस बार हैट्रिक लगाने के इरादे से मैदान में हैं। वहीं संजय यादव भी यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं।

महगामा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की टिकट पर एक बार फिर दीपिका पांडे मैदान में हैं। इनका मुकाबला भाजपा के अशोक भगत से है। 2019 के विधानसभा चुनाव में दीपिका ने यहां से जीत हासिल की थी, लेकिन इससे पहले दो बार अशोक भगत यहां से विधायक रहे हैं। ऐसे में यहां मुकाबला काफी दिलचस्प है।

रामगढ़ विधानसभा सीट पर आजसू की सुनीता देवी और कांग्रेस की ममता देवी चुनाव मैदान में हैं। 2019 के चुनाव में यहां से कांग्रेस की टिकट पर ममता देवी ने जीत हासिल की थी। लेकिन एक मामले में कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई। उसके बाद हुए उपचुनाव में यहां से आजसू पार्टी की टिकट पर चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता देवी ने जीत दर्ज की। एक बार फिर सुनीता देवी और ममता देवी के बीच यहां कड़ा मुकाबला है। मांडू विधानसभा सीट पर कांग्रेस के जेपी पटेल और आजसू के तिवारी महतो मैदान में है। 2019 में यहां से जेपी पटेल ने जीत दर्ज की थी, लेकिन वे लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के उम्मीदवार बने जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। एक बार फिर वे मांडू में कांग्रेस उम्मीदवार हैं। उन्हें आजसू के तिवारी महतो और जेएलकेएम के प्रत्याशी परमेश्वर कुमार से चुनौती मिल रही है।

बगोदर विधानसभा सीट पर भाकपा माले के विनोद कुमार इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी हैं। यहां उन्होंने 2005, 2009 और 2019 में जीत हासिल की है। 2014 में इन्हें नागेंद्र महतो ने हराया था। एक बार फिर इनका मुकाबला नागेंद्र महतो से है। जमुआ में भाजपा की टिकट पर मंजू देवी चुनाव मैदान में हैं, जबकि झामुमो की टिकट पर केदार हाजरा मैदान में हैं। 2019 के चुनाव में मामला उल्टा था। केदार हाजरा भाजपा में थे और मंजू देवी कांग्रेस में दोनों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था और केदार हाजरा ने जीत दर्ज की थी। एक बार फिर से दोनों आमने-सामने हैं, हालांकि दोनों ने पार्टी बदल ली है।

गिरिडीह में एक बार फिर से झामुमो के सुदिव्य कुमार सोनू और भाजपा के निर्भय शाहाबादी के बीच मुकाबला है। 2019 में सुदिव्य ने निर्भय को मात दी थी। निर्भय शाहबादी भी यहां से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। डुमरी विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी रोचक हो गया है। यहां एक तरफ झामुमो से मंत्री बेबी देवी मैदान में हैं, वे यहां से चार बार के विधायक जगरनाथ महतो की पत्नी हैं, तो वहीं, आजसू पार्टी से यशोदा देवी उन्हें टक्कर दे रही हैं। इन दोनों के बीच जेएलकेएम प्रत्याशी जयराम महतो ने भी इस चुनाव को रोचक बना दिया है।

गोमिया विधानसभा सीट पर आजसू के लंबोदर महतो को झामुमो के योगेंद्र महतो टक्कर दे रहे हैं। वहीं, जेएलकेएम की पूजा कुमारी ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। बेरमो विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी कुमार जयमंगल सिंह का मुकाबला रवींद्र पांडेय से है। वहीं, जेएलकेएम के प्रत्याशी और अध्यक्ष जयराम महतो भी यहां से ताल ठोक रहे हैं यहां उन्हें लोकसभा चुनाव में अच्छी बढ़त मिली थी।

बोकारो विधानसभा सीट पर कांग्रेस की श्वेता सिंह और भाजपा के बिरंची नारायण के बीच टक्कर है। 2014 और 2019 में यहां से बिरंची नारायण ने जीत हासिल की थी। हालांकि 2019 के चुनाव में श्वेता ने बिरंची नारायण को कड़ी टक्कर दी थी। उनके ससुर समरेश सिंह इस सीट पर कई बार विधायक रह चुके हैं।

चंदनकियारी विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी का मुकाबला उमाकांत रजक से हैं। अमर कुमार बाउरी यहां से 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुके हैं। दोनों बार यहां से आजसू के उम्मीदवार रहे उमाकांत रजक ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। इस बार उमांकात झामुमो की टिकट पर उनके सामने हैं।

सिंदरी विधानसभा सीट पर बीजेपी ने इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी को उम्मीदवार बनाया है। इंद्रजीत महतो लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। उनकी पत्नी तारा देवी जिला परिषद की सदस्य रही हैं। वहीं इनका मुकाबला भाकपा माले के चंद्रदेव महतो से है।

निरसा विधानसभा सीट पर भाजपा की टिकट पर अपर्णा सेनगुप्ता चुनाव मैदान में हैं। यहां इनका मुकाबला भाकपा माले के उम्मीदवार अरूप चटर्जी से है। अरूप यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं। जबकि 2019 में अपर्णा ने यहां जीत दर्ज की थी।

धनबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राज सिन्हा का मुकाबला कांग्रेस के अजय दुबे से है। राज सिन्हा यहां से 2014 और 2019 में लगातार जीत दर्ज कर चुके हैं। वहीं अजय दुबे 2014 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार थे लेकिन वे चुनाव हार गए थे और दूसरे नंबर पर रहे थे।

झरिया विधानसभा सीट पर एक बार फिर से देवरानी का मुकाबला अपनी जेठानी से है। यहां कांग्रेस की टिकट पर पूर्णिमा नीरज सिंह उम्मीदवार हैं,तो वहीं भाजपा की टिकट पर रागिनी सिंह मैदान में हैं। पिछली बार भी दोनों आमने सामने थी लेकिन जीत पूर्णिमा के हाथ लगी थी। टुंडी विधानसभा सीट के लिए झामुमो से मथुरा महतो मैदान में हैं। वहीं भाजपा की टिकट पर विकास महतो ताल ठोक रहे हैं। इनके अलावा जेएलकेएम की टिकट परमोतीलाल महतोने ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

बाघमारा विधानसभा सीट से 2014 और 2019 में लगातार ढुल्लू महतो ने जीत दर्ज की लेकिन अब वे सांसद बन गए हैं। इस सीट से उनके बड़े भाई शत्रुघ्न महतो भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। 2019 में जलेश्वर महतो बेहद कम वोटों के अंतर से ढुल्लू महतो से हारे थे।

सिल्ली विधानसभा सीट पर सबकी नजर रहने वाली है। यहां से झारखंड के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो चुनाव मैदान में हैं। यहां उनका मुकाबला अमित महतो से है। अमित महतो एक बार सुदेश महतो को हरा भी चुके हैं। वहीं इस मुकाबले को और रोचक बना रहे हैं जेएलकेएम प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो।

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