नई दिल्ली (ईएमएस)। हर मील से पहले अगर बादाम खा लिए जाएं, तो इससे ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है। दो नए अध्ययनों के अनुसार, मोटापे और ज्यादा वजन से जूझ रहे ऐसे लोग जो प्री-डायबिटीज से पीड़ित हैं, उन्हें बादाम का सेवन फायदा पहुंचा सकता है। दूसरी रिसर्च तीन महीने से ज्यादा समय तक चली। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्री-डायबिटीज के मरीज अगर तीन महीने तक हर मील से पहले बादाम का सेवन करते हैं, तो उनका ब्लड शुगर का स्तर समान्य रहता है।
दोनों स्टडीज में, 60 लोगों मे 20 ग्राम बादाम खाए। शोध के समय सुबह के नाश्ते, दिन के खाने और रात के खाने से 30 मिनट पहले 5-6 बादाम खाए। शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर डाइट में बादाम को शामिल किया जाए, तो इससे प्री-डायबिटिक से डायबिटिक होने से बचा जा सकता है।विशेषज्ञों का मानना है कि हमारे अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि आहार रणनीति के तहत बादाम ब्लड ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। इन परिणामों से पता चलता है कि प्रत्येक भोजन से पहले बादाम के एक छोटे हिस्से के सेवन से भारतीयों में सिर्फ तीन दिनों में ग्लाइसेमिक नियंत्रण में तेजी से और काफी सुधार हो सकता है। खाने से 30 मिनट पहले 20 ग्राम बादाम खाने से ब्लड शुगर और हार्मोन में उल्लेखनीय कमी देखी गई। बादाम के फाइबर, मोनोअनसैचुरेटेड वसा, जस्ता, और मैग्नीशियम जैसे पोषण संबंधी तत्व बेहतर ग्लाइसेमिक नियंत्रण प्रदान करने और भूख को कम करने में मदद करने के लिए मिलकर काम करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा, हमारे परिणाम प्री-डायबिटीज की प्रगति को कम करने और लोगों को सामान्य ग्लूकोज स्तर में वापस लाने के लिए एक आशाजनक आहार रणनीति प्रदान करते हैं। डायबिटीज के बढ़ते प्रसार को देखते हुए, प्रमुख भोजन से 30 मिनट पहले बादाम खाने जैसी आहार रणनीतियां भोजन के बाद ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि को कम करने का एक अच्छा विकल्प प्रदान करती हैं। प्रतिभागियों को या तो बादाम उपचार समूह या फिर नियंत्रण समूह में बांटा गया। दोनों समूह को डाइट और व्यायाम परामर्श के साथ-साथ उनके ग्लूकोज के स्तर को मापने के लिए घरेलू उपयोग के ग्लूकोमीटर प्रदान किए गए थे, जो कि आहार सेवन और व्यायाम के साथ डायरी में दर्ज किए गए थे। शोध में देखा गया कि तीन महीने तक नाश्ते, दिन और रात के खाने से पहले 20 ग्राम बादाम का सेवन करने से शरीर के वजन, बॉडी मास इंडेक्स, कमर का साइज, कंधों व कुल्हे का साइज कम हुआ और ताकत बढ़ी।
इसी तरह फास्टिंग ग्लूकोस, खाना खाने के बाद का इंसुलिन, हीमोग्लोबिन ए1सी, प्रोइंसुलिन, कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल और लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन में भी गिरावट देखी गई। साथ ही एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में कोई बदलाव नहीं देखा गया, जिसका मतलब यह हुआ कि दूसरे बायोकेमिकल्स में बदलाव का असर इसपर नहीं पड़ता। इस शोध में जो लोग प्री-डायबिटिक थे, उनके ब्लड ग्लूकोस का स्तर समान्य हो गया। बता दें कि साल दर साल दुनियाभर में डायबिटीज के मामले बढ़ ही रहे हैं, खासतौर पर भारत में। ऐसे में इस विषय पर लगातार शोध भी होते रहते हैं।