तिजोरी खाली करने के लिए बनाता था बीवी-मंगेतर…इश्क को बदनाम करने वाला नटवरलाल सलाखों के पीछे

 
– मेट्रीमोनियल साइट के जरिए मंगेतर बनाकर भरोसा जीता
– एक करोड़ की कार खरीदने का झांसा देकर 15 लाख हड़पे
– 45 लाख का पर्सनल लोन कराने के बाद खाली किया खाता

भास्कर ब्यूरो
कानपुर। इश्कबाज नटवरलाल की कहानी काफी दिलचस्प है। सूट-बूट और टाई पहनकर महंगी कार में चलने वाला फरेबी अच्छे जीवनसाथी की तलाश में मेट्रीमोनियल साइट्स पर भटकने वाली लड़कियों को मोहब्बत के झांसे में फंसाकर कंगाली के कगार पर पहुंचा देता था। इश्क को खिलवाड़ बनाने वाले ठग ने पहली बीवी से तलाक के बाद दूसरी, फिर तीसरी के साथ हल्दी-मेहंदी रचाई। नटवरलाल की शादियां दिल बहलाने के लिए नहीं, बल्कि तिजोरियां खाली करने के लिए होती थी। इश्क और भरोसे के डकैत के मायाजाल में उलझी एक लड़की अपनी जिंदगी को अलविदा कहने का इरादा बना चुकी थी। सर्विलांस और क्राइमब्रांच के जरिए बदमाश को माशूका के साथ दबोचा गया तो ठगी की मोटी रकम के साथ अर्टिगा कार बरामद हुई है।

सूट-बूट में आया ठग रौब जमाने को
इश्क के भंवर में फंसाकर कंगाल बनाने की कहानी की नई किरदार हैं पल्लवी (काल्पनिक नाम)। लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में तैनात नर्सिंग आफीसर पल्लवी को काबिल जीवनसाथी की तलाश में मेट्रीमोनियल साइट्स पर घुमक्कड़ी के दरमियान खुद को जज बताने वाले विष्णुशंकर गुप्ता से हुई। शातिर विष्णु ने खुद को सीतापुर में जज बताकर अपना नाम बताया था अंशुमान विक्रम। पहली नजर में हैंडसम नौजवान को देखते ही पल्लवी को सपनों का राजकुमार नजर आया तो बात आगे सरकने लगी। रफ्ता-रफ्ता दोनों में गुफ्तगू का समय बढ़ता गया और शादी का इरादा पक्का कर लिया। पल्लवी को नहीं मालूम था कि, उसकी मुलाकात सपनों के राजकुमार से नहीं, बल्कि ठगों के शहंशाह से हुई थी। दो महीने की प्यारी-प्यारी बातों में अंशुमान विक्रम यानी विष्णु ने पल्लवी का भरोसा जीत लिया था। फिर एक दिन मौका देखकर जज के रूतबे के मुताबिक, एक करोड़ कीमत वाली महंगी कार खरीदने का झांसा देकर पल्लवी का 45 लाख रुपए का पर्सनल लोन करा दिया।

माशूका के 60 लाख रुपए के साथ फिल्म देखी
खाते में लोन की रकम आने के बाद विष्णु ने पल्लवी से आग्रह किया कि, खाते में पहले से जमा 15 लाख रुपए सहित कुल 60 लाख निकालने के बाद फिल्म देखने चलना है। प्रेम-दीवानी पल्लवी सात सितंबर को 59.50 लाख रुपये लेकर चारबाग से झकरकटी बस स्टैंड पहुंचीं और फोन पर बात करने के बाद चुन्नीगंज स्थित शनिदेव मंदिर पहुंचीं। जहां से दोनों मूवी देखने पहुंचे। बीच में ही तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर विष्णुशंकर भाग गया। इस मामले में कर्नलगंज में मुकदमा दर्ज हुआ था। मूलरूप से नवाबगंज इलाके का बाशिंदा विष्णुशंकर फरेब के कारण फिलवक्त उन्नाव के शुक्लागंज में बतौर किरायेदार तीसरी बीवी के साथ रहता था। विष्णु ने पल्लवी से फिल्म की बात तय होने के बाद तीसरी बीवी आयुषी को प्लानिंग समझाई और अर्टिगा कार लेकर कानपुर के लिए निकला, लेकिन हाई-वे पर सुनसान स्थान देखकर नंबर प्लेट बदलने के साथ कार पर चस्पा राजनीतिक दल का झंडा और एडवोकेट स्टीकर को हटाकर आयुषी को रास्ते में उतारकर पल्लवी से मिलने पहुंचा था।

कभी जज तो कभी आईएएस अधिकारी का चोला
पल्लवी की मासिक तनख्वाह 95 हजार रुपए हैं, जबकि 45 लाख रुपए लोन की ईएमआई 97 हजार रुपए प्रतिमाह। ऐसे में ठगी की शिकार पल्लवी मौत का रास्ता तलाशने लगी थी। पल्लवी के मुताबिक, ठगी के बाद जानकारी जुटाई तो मालूम हुआ कि, विष्णुशंकर ने कुछ साल पहले उसकी बहन को भी ऐसे कंगाल बनाया था। नतीजे में बहन ने सुसाइड कर लिया था। बहरहाल, पल्लवी की गुहार पर डीसीपी-सेंट्रल श्रवण कुमार सिंह ने सविलांस और क्राइम ब्रांच को सक्रिय किया तो तमाम कैमरों की मदद से बंटी-बबली का ठिकाना मालूम हुआ। मौके पर पहुंचे तो ठग दंपती ने खतरनाक पालतू कुत्तों को छोड़ दिया। जैसे-तैसे कुत्तों को काबू में करने के बाद बंटी-बबली को दबोचकर सलाखों के पीछे धकेल दिया गया है। ठगों के कब्जे से लूटे गए रुपए में 42.50 लाख रुपए तथा अर्टिगा कार बरामद हुई है। 

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