-मछली, झींगे, दूध, दही और पनीर आयोडीन का अच्छा स्रोत
नई दिल्ली । आयोडीन कम होने से हमारे शरीर में घेंघा, हाइपोथायरॉइडिज्म और मानसिक विकार जैसी समस्याएं हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनिया में करीब 188 करोड़ लोगों को भोजन में पर्याप्त आयोडीन नहीं मिल पा रहा है। भारत में 20 करोड़ से ज्यादा लोग आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर (आईडीडी) के खतरे में हैं, जिनमें 7 करोड़ लोग पहले से ही इससे जुड़ी बीमारियों का सामना कर रहे हैं।
आयोडीन की कमी होने पर शरीर मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन, थकान और कमजोरी, बाल झड़ना, त्वचा का रूखापन, वजन बढ़ना या घटाना, गर्दन में सूजन (घेंघा), बच्चों में मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा, थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन में बाधा, गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात, मृत जन्म, या बच्चे में बौद्धिक विकास की कमी, लंबे समय तक कमी से दिमागी क्षमताओं पर असर।
आपको दैनिक आहार में आयोडीन फोर्टिफाइड नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। मछली, झींगे, और समुद्री शैवाल आयोडीन का अच्छा स्रोत हैं। दूध, दही और पनीर आयोडीन का पर्याप्त मात्रा में सेवन सुनिश्चित करते हैं। अंडे की जर्दी और चिकन में भी आयोडीन पाया जाता है। आलू, केला, और अन्य आयोडीन युक्त सब्जियों और फलों का सेवन करें।
सर्दियों में आयोडीन की कमी से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन ठंड के मौसम में थायरॉइड ग्रंथि के फंक्शन पर असर पड़ता है। इससे घेंघा के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। आयोडीन की कमी एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे सही आहार और जागरूकता से रोका जा सकता है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान देने की जरुरत है। डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य संगठनों की सलाह के मुताबिक आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें और आईडीडी से बचाव के लिए समय पर कदम उठाएं।