देश के लिए बेटा दिया सर्वोच्च बलिदान, रोटी के लिए भटक रहे बुजुर्ग बाप

देश के पहले शहीद गरुड़ कमांडो गुरसेवक सिंह के पिता सुच्चा सिंह का दर्द सामने आया है। उन्होंने कहा कि उन्हें कहीं किसी दफ्तर में जाने पर सम्मान नहीं मिलता ना ही उनका कोई नेता काम करता है। उन्होंने सरकार से इस ओर ध्यान देने की मांग की है तो वहीं पेंशन को लेकर आवाज उठाई है कि गुरसेवक को मिलने वाली पेंशन उन्हें आधी मिलनी चाहिए क्यूंकि शहीद गुरसेवक की पत्नी अब उनके साथ नहीं रहती।

पठानकोट आतंकी हमले में 2 जनवरी 2016 को अंबाला के शहीद हुए देश के पहले गरुड़ कमांडो गुरसेवक के परिवार की माली हालत ज्यादा ठीक नहीं चल रही। इसको लेकर शहीद गुरसेवक के पिता ने कहा उन्होंने बेटे को पढ़ा लिखा कर बड़ा किया व काबिल बनाया। जब उनके पेड़ को फल लगने का समय आया तब उनका बेटा देश के लिए शहीद हो गया।

सरकार ने जो पैसा दिया था वो गुरसेवक की पत्नी ले गई। गुरसेवक की पेंशन भी उसकी पत्नी को मिल रही है। उन्होंने सवाल किया कि वो गुजारा कैसे करें क्योंकि गुरसेवक की पत्नी अब उनके साथ नहीं रहती।

शहीद गुरसेवक के पिता सुच्चा सिंह ने कहा कि पहले नेताओ का आना जाना लगा रहता था। कई नेता घोषणा भी कर गए लेकिन पूरी किसी ने नहीं की। उन्होंने बताया कि नेता अब हाल पूछना तो दूर, यदि किसी काम के लिए उनके पास जाते हैं तो वो भी नहीं होता।

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