नाबालिग रेप पीड़िता को 30 हफ्ते का गर्भ गिराने की मिली इजाजत, ये है पूरा मामला

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता को 30 हफ्ते का गर्भ गिराने की इजाजत दे दी है। आज हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्षीय लड़की की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की इजाजत दे दी। कोर्ट ने अस्पताल द्वारा प्रस्तुत मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जिसमें नाबालिग की चिकित्सीय समाप्ति की राय दी गई थी और कहा गया था कि गर्भावस्था जारी रहने से नाबालिग के शारीरिक और मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक सोमवार को इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने की। इससे पहले, कोर्ट ने मुंबई के एक अस्पताल से मेडिकल गर्भपात कराने या इसके खिलाफ सलाह दिए जाने पर लड़की पर संभावित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों के संबंध में एक रिपोर्ट मांगी थी। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था, जिसकी रिपोर्ट अगली सुनवाई यानी 22 अप्रैल को कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने सत्र के दौरान, यह पता चला कि नाबालिग वर्तमान में 28 सप्ताह की गर्भवती है और मुंबई में है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मामले में सरकार की तरफ से पेश हुए।

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत, विवाहित महिलाओं और विशेष श्रेणियों के लोगों के लिए 24 सप्ताह तक गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति है, जिसमें बलात्कार पीड़िताएं और अन्य कमजोर समूह जैसे कि विकलांग और नाबालिग शामिल हैं।

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