नेपाल में नया विवाद : Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने पीएम सुशीला कार्की का इस्तीफा मांगा…कहा-जिस कुर्सी पर बैठाया है, वहीं से…

नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम पीएम सुशीला कार्की का इस्तीफा मांगा है। वे कैबिनेट विस्तार को लेकर नाराज हैं। प्रदर्शनकारियों ने रविवार रात पीएम आवास के बाहर प्रदर्शन और नारेबाजी की।

उन्होंने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार प्रदर्शनकारियों की राय लिए बिना मंत्रियों को चुन रही है। इसका नेतृत्व सुदान गुरुंग कर रहे थे। गुरुंग ने धमकी देते हुए कहा,

अगर हम फिर सड़क पर उतरे तो कोई हमें रोक नहीं पाएगा। जिस कुर्सी पर बैठाया है, वहीं से निकाल फेंकेंगे।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीनियर वकील ओमप्रकाश आर्यल सरकार में दखलअंदाजी कर रहे हैं। गुरुंग का आरोप है कि आर्यल ने खुद को गृहमंत्री बनाने का फैसला किया है। ओमप्रकाश आर्यल काठमांडू के मेयर बालेन शाह के करीबी माने जाते हैं।

पीएम कार्की ने ओमप्रकाश आर्यल को गृह और कानून मंत्री, रामेश्वर खनाल को वित्त मंत्री और कुलमान घिसिंग को ऊर्जा मंत्री नियुक्त किया है।

गुरुंग ने नेपाल में Gen-Z आंदोलन का ऐलान किया था

36 साल के गुरुंग ने 8 सितंबर को काठमांडू में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था। वे हामी नेपाल नाम के NGO के संस्थापक हैं।

2015 में बना यह संगठन आपदाओं के दौरान राहत पहुंचाने के लिए जाना जाता है। भूकंप और बाढ़ जैसी आपात स्थितियों में इसके सदस्य बचाव, भोजन और पानी की व्यवस्था करते रहे हैं।

संगठन ने समय-समय पर छात्रों और प्रवासी नेपाली नागरिकों से जुड़े मुद्दे भी उठाए हैं। इसी साल भुवनेश्वर में एक नेपाली छात्रा की आत्महत्या के मामले में भी ‘हामी नेपाल’ ने खुलकर आवाज उठाई थी और सोशल मीडिया पर लगातार अपडेट साझा किए थे।

दिलचस्प यह है कि यह संगठन आमतौर पर राजनीतिक विवादों से दूरी बनाए रखता है। इसके इंस्टाग्राम पेज पर ज्यादातर मानवीय गतिविधियों की ही झलक मिलती है। ऐसे में काठमांडू विरोध का ऐलान गुरुंग के रुख में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

गुरुंग का नाम पहली बार राजनीतिक विवाद में तब आया था, जब उन्होंने शिक्षक भर्ती घोटाले पर सवाल उठाए। उनका आरोप था कि योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर पैसे और राजनीतिक दबाव के जरिए भर्तियां की जा रही हैं। इसी प्रकरण के बाद उन पर जानलेवा हमला भी हुआ था।

Gen-Z आंदोलन के बाद नेपाल की पार्टियों पर संकट

नेपाल की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की नियुक्ति और संसद के भंग होने के बाद अब सियासी पार्टियों के भीतर ही असंतोष तेज हो गया है।

बड़े दलों के दिग्गज नेता अपनी-अपनी पार्टियों में घिर गए हैं और इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है। नेपाली कांग्रेस, CPN-UML और माओवादी केंद्र सहित 8 प्रमुख दलों ने संसद भंग करने को असंवैधानिक करार दिया है।

शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस, केपी शर्मा ओली की CPN-UML और पुष्प कमल दहल प्रचंड की CPN (माओवादी सेंटर) के युवा नेताओं ने अपने शीर्ष नेताओं से पद छोड़ने की मांग शुरू कर दी है।

नेताओं पर इस्तीफा देने का दबाव

नेपाली कांग्रेस के भीतर गगन थापा और बिश्व प्रकाश शर्मा खुलकर शेर बहादुर देउबा से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। वहीं, UML में शंकर पौडेल और योगेश भट्टराई सुधार की मांग उठाकर पार्टी अध्यक्ष पर दबाव बना रहे हैं।

माओवादी केंद्र में जनार्दन शर्मा ने कहा, प्रचंड अब नई पीढ़ी को नेतृत्व सौंपें। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नेता कार्की को सीधे निशाना बनाने से बच रहे हैं, लेकिन जनता और कार्यकर्ताओं के दबाव के चलते उन्हें अपनी ही पार्टी में जवाब देना पड़ रहा है।

कार्की मंत्रिमंडल के लिए 3 नाम फाइनल हुए

नेपाल में पहली बार मंत्री चुनने का तरीका भी बिल्कुल अलग होगा। अंतरिम पीएम सुशीला कार्की की तरह उनके कैबिनेट में मंत्री भी सोशल मीडिया पोलिंग के जरिए चुने जाएंगे।

सूत्रों के मुताबिक कार्की मंत्रिमंडल के लिए 3 नाम फाइनल हो गए हैं। पूर्व वित्त सचिव रमेशोर खनाल को वित्त मंत्री, वकील ओम प्रकाश आर्यल को गृह मंत्री और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमान घीसिंग को ऊर्जा एवं सिंचाई मंत्री के रूप में चुना है।

घीसिंग को दो अन्य मंत्रालयों – भौतिक अवसंरचना एवं परिवहन, और शहरी विकास – की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये तीनों नेता सोमवार को शपथ ले सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक बाकी बचे मंत्रिस्तरीय पदों पर चर्चा बाद में होगी।

सविता भंडारी नेपाल की पहली महिला अटॉर्नी जनरल बनीं

नेपाल में पहली बार किसी महिला को अटॉर्नी जनरल बनाया गया है। सीनियर एडवोकेट सविता भंडारी बराल को प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने नियुक्त किया।

इससे पहले राष्ट्रपति ने अटॉर्नी जनरल रमेश बदाल का इस्तीफा मंजूर किया था।

PM कार्की बोली- नेपाल में पहली बार 27 घंटे आंदोलन हुआ

नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने कार्यभार संभालने के बाद रविवार को कहा था कि Gen-Z आंदोलन में मारे गए लोगों को शहीद घोषित किया जाएगा।

साथ ही पीड़ितों के परिजनों को 10-10 लाख नेपाली रुपए का मुआवजा भी दिया जाएगा। नेपाल हिंसा में मरने वालों की संख्या 72 हो गई है, इनमें 1 भारतीय महिला भी शामिल है।

कार्की ने भ्रष्टाचार को खत्म करने का भी संकल्प लिया। उन्होंने कहा था, ‘नेपाल में पहली बार 27 घंटे तक लगातार आंदोलन हुआ।’ 12 सितंबर को PM पद संभालने के बाद कार्की को नेपाल में 5 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई थी।

Gen-Z नेता बोले थे- सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन निगरानी करेंगे

शुक्रवार को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसद भंग करने का भी ऐलान किया था। पूर्व पीएम केपी ओली की कम्युनिस्ट पार्टी (UML) ने इस फैसला का विरोध किया है।

UML महासचिव शंकर पोखरेल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की है।

वहीं, Gen-Z नेताओं ने इस सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था। उनका कहना है कि वे सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन सरकार के कामकाज की निगरानी करेंगे।

नेपाल में सामान्य हो रहे हालात

6 दिनों की हिंसा के बाद काठमांडू के कई इलाकों से कर्फ्यू हटा दिया गया है। नेपाल में अब हालात सामान्य हो रहे हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट कल से शुरू किया गया। साथ ही भारत-नेपाल सीमा पर भी आवाजाही शुरू की गई।

हालांकि, काठमांडू के 6 जगहों पर अब भी कर्फ्यू जारी है। यहां 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने, भूख हड़ताल, धरना, घेराव, जुलूस और सभा करने पर रोक लगा दी गई है। नोटिस में कहा गया है कि यह आदेश दो महीने तक लागू रहेगा।

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