नेवी का नया बेस कंट्रोल तैयार, समुद्र के तल में होगी खास बातचीत, जानें क्या है प्लान

-परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघात नौसेना में किया था शामिल


नई दिल्ली । भारत ने हाल ही में अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघात नौसेना में शामिल हो गई है। इसके साथ ही नौसेना अब लंबी दूरी की गश्त पर मौजूद अपने गुप्त शिकारियों के साथ सहज कम्युनिकेशन के लिए एक नई एडवांस फैसिलिटी स्थापित कर रही है।
तेलंगाना के विकाराबाद में वेरी लो फ्रीक्वेंसी कम्युनिकेशन स्टेशन की परियोजना का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार यानी 15 अक्टूबर को करेंगे। मीडिया रिपोर्ट में बताया कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण वीएलएफ सुविधा, जब दो-तीन सालों में पूरी तरह से चालू हो जाएगी। इसके बाद यह भारत के संपूर्ण क्षेत्र में पानी के नीचे पनडुब्बियों को चौबीसों घंटे एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।


उन्होंने कहा कि वीएलएफ रेडियो तरंगें, जो 3 से 30 किलोहर्ट्ज़ की फ्रीक्वेंसी बैंड में काम करती हैं, ऐसे उद्देश्यों के लिए समुद्री जल में एक निश्चित गहराई तक प्रवेश कर सकती हैं। केवल कुछ ही देशों के पास ऐसी क्षमताएं मौजूद हैं, जो लंबी दूरी की निवारक गश्त पर तैनात परमाणु पनडुब्बियों के कमांड और नियंत्रण के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।


भारत की योजना अगले साल की शुरुआत में आईएनएस अरिधमान के रूप में सात हजार टन विस्थापन के साथ तीसरे एसएसबीएन को शामिल करने की है। वही, सीक्रेट एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) परियोजना के तहत एक चौथा भी निर्माणाधीन है। रिपोर्ट के मुताबिक 13,500 टन के एसएसबीएन बनाने की भी योजना है। इसमें 190 मेगावाट के ज्यादा शक्तिशाली प्रेशराइज्ड लाइट-वाटर रिएक्टर होंगे। इसके अलावा, 9 अक्टूबर को पीएम के नेतृत्व वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने दो परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण के लिए लंबे समय से लंबित 40 हजारा करोड़ रुपए की प्रोजेक्ट-77 को भी मंजूरी दे दी है। 190 मेगावाट के रिएक्टर और 9,800 टन के विस्थापन वाले इन एसएसएन को बनाने में 10-12 साल लगेंगे, जो पारंपरिक युद्ध के लिए हैं।

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