
लखनऊ। स्पेशल टास्क फ़ोर्स एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग-प्रयागराज द्वारा 16 और 17 अप्रैल को कराई गई सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में फर्जी प्रश्नपत्र बनाकर ठगी करने वाला गिरोह के तीन लोगों को लखनऊ के वेव मॉल के पास से गिरफ्तार किया है। इसमें एक आरोपी गोंडा के डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है। एसटीएफ ने आरोपियों के पास से करीब 12 लाख रुपये कैश बरामद किए हैं। तीनों से ठगी रैकेट के संबंध में पूछताछ की जा रही है। पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ दीपक कुमार सिंह के मुताबिक, पकड़े गए आरोपियों में अयोध्या के हैदरगंज के विनय कुमार पाल, बैजनाथ और अयोध्या के ही पूरा कलंदर के रहने वाले महबूब अली शामिल हैं। रविवार को पुलिस को सूचना मिली कि वेव सिनेमा के पास कुछ लोग परीक्षा में प्रश्न न आने को लेकर झगड़ रहे हैं। रुपये का लेनदेन भी शामिल हैं। नकल गिरोह के सदस्य होने की आशंका में पुलिस यहां पहुंची और तीनों आरोपियों को पकड़ लिया। पूछताछ में बैजनाथ पाल ने कहा कि वह गोंडा में लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है।
आरोपियों से जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो ठगी के धंधे की परतें खोलने लग गए। बैजनाथ ने कहा कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों को महबूब अली द्वारा फर्जी पेपर देकर मोटी रकम वसूली जाती है। उसने कहा कि इसी आधार पर उसने सुनील और कपिल कुमार को जूलॉजी के पेपर देने का सौदा किया था। पेपर पढ़वाने के बाद उसे नष्ट कर दिया गया था।
आरोपियों से पूछताछ में ये बात सामने आई कि सुनील और कपिल, दोनों से करीब 12 लाख रुपये लिए जा चुके हैं। एक पेपर का सौदा 35 लाख रुपये में हुआ था। हालांकि खेल तब बिगड़ गया, जब परीक्षा में वो प्रश्न ही नहीं आए, जिन्हें दिखाकर उनसे सौदा किया गया था। इसलिए कपिल और सुनील अब बैजनाथ से रुपये वापस मांग रहे थे। दूसरी तरफ बैजनाथ दोनों से 35 लाख रुपये की डिमांड कर रहा था। आरोपियों ने बताया कि उनसे कहा गया था कि प्रश्नपत्र के सारे प्रश्न परीक्षा में पूछे जाएंगे। बहरहाल, पुलिस इस पूरे केस की पड़ताल में जुट गई है। इस तरह जो आरोपी पकड़े गए हैं-उनसे यूपी में फैले इस रैकेट के और सदस्य भी पुलिस के हत्थे चढ़ेंगे। उनके चेहरे बेनकाब होंगे।