पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों के ईद मनाने पर पाबंदी, जानिए इनके इतिहास और संघर्ष की कहानी

इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान एक तरफ वह इस्लाम का झंडा बुलंद करता है। दुनिया में खुद को इस्लामी गणराज्य कहलवाने में गर्व करता है। इस देश में इस्लाम के अलावा अन्य लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है। हिंदुओं पर अत्याचार का की खबरें तो यहां से आने आम बात है। लेकिन, अब पाकिस्तान में मुसलमानों में ही भेद होने लगा है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि वहां अहमदिया मुसलमानों को हाशिए पर धकेला जा रहा है। उन्हें ईद-उल-अजहा पर इस्लामी रीति-रिवाज का पालन करने से रोका जा रहा है। ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई की बात कही जा रही है। अहमदिया समुदाय को पाकिस्तान मुसलमान मानने से इनकार कर रहा है। ऐसे में सवाल आता है कि अहमदिया मुसलमान हैं या नहीं आखिर उनका इतिहास क्या है?

हर समुदाय को अपनी आस्था का पालन करने का अधिकार है। लेकिन, पाकिस्तान को कहां ये समझ आने वाला है। अहमदिया समुदाय के खिलाफ इस फैसले से उसका दोहरा चरित्र दुनिया के सामने आ गया है। लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने पंजाब पुलिस को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि अहमदिया समुदाय को ईद-उल-अजहा पर इस्लामी रीति-रिवाज (नमाज और कुर्बानी) से रोका जाए। अगर कोई कानून का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। 

क्या है पूरा मामला?

लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने अहमदिया समुदाय को इस्लामी रिवाज से रोकने के लिए पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक को पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि ईद-उल-अजहा मुसलमानों का पवित्र त्यौहार है। अहमदिया समुदाय गैर-मुस्लिम हैं। वो खुद को अवैध रूप से खुद को मुसलमान बता रहे हैं। ऐसे में अहमदियों को इन रिवाजों का पालन करने की कानूनी या धार्मिक इजाजत नहीं है। वो इस तरह की चीजें कर रहे हैं जिसे ईशनिंदा माना जाता है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के कई इलाकों में अहमदियों से इस्लामी रिवाज न मानने के लिए हलफनामा लिया गया है।

लगेगा 5 लाख रुपये का जुर्माना

पाकिस्तान ने अहमदी मुस्लिम को इस्लामी रिवाज से रोकने के लिए शपथ पत्र जमा करने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि वो शपथ लेकर कहें कि वो संबंधित त्योहारों का पालन नहीं करेंगे। ये आदेश 2023 की अधिसूचना पर आधारित है जिसमें पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 298-बी और 298-सी का कड़ाई से पालन करने की बात कही गई थी। इन धाराओं में अहमदिया समुदाय को मुसलमान कहने या इस्लामी रीति-रिवाजों का पालन करने की अनुमति नहीं है।  इसमें कहा गया है कि यदि अहमदिया जानवरों की बलि देता है या किसी अन्य इस्लामी रीति-रिवाज का पालन करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस पर 5 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

पाकिस्तान में लंबे समय से हो रहा है अत्याचार?

पाकिस्तान की कुल आबादी इस समय करीब 24 करोड़ है। इसमें से 1 करोड़ लोग गैर मुसलमान है। पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों की मानें तो साल 2021 में कुल जनसंख्या का 96.47% मुसलमान हैं। इसके अलावा 2.14% हिंदू, 1.27% ईसाई, 0.09% अहमदिया और 0.02% अन्य अल्पसंख्यक लोग हैं। इसके बाद भी उनके साथ लगातार अत्याचार होता रहा है।

  • 2010 से अप्रैल 2022 तक अहमदिया समुदाय की कब्रों को नुकसान पहुंचाने की 28 घटनाएं हुई।
  • 2021 के बाद अहमदिया पूजा स्थलों पर लगभग 30 हमले रिपोर्ट किए गए हैं।
  • जनवरी 2024 में पंजाब के दस्का में 80 अहमदिया कब्रों को पुलिस ने ही नष्ट कर दिया था।

जानिए अहमदियों का इतिहास?

अहमदिया समुदाय इस्लाम के भीतर ही एक संप्रदाय है। इसकी शुरुआत 1889 में मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानी ने की थी। उनका उद्देस्य मुस्लिम समाज में मौजूद सामाजिक और धार्मिक बुराइयों को दूर करना और शिक्षा को बढ़ावा देना था। उनका जन्म 13 फरवरी 1835 को ब्रिटिश भारत के पंजाब में हुआ था। उनका मानना था कि हज़रत मुहम्मद आखिरी नबी नहीं हैं और कुरान भी आखिर पुस्तक नहीं है।

  • अहमदिया इस्लाम के 73 संप्रदायों में से एक है।
  • अहमदिया दुनिया के 200 से ज़्यादा देशों में रहते हैं।
  • दुनिया में इनका संख्या 20 मिलियन के आसपास है।
  • इस समुदाय के पास हज़ारों मस्जिदें, स्कूल और अस्पताल हैं।
  • अहमदिया समुदाय को मार्डन मुसलमान माना जाता है।

पाकिस्तान अहमदिया को मुसलमान क्यों नहीं मानता?

अहमदिया लोग पैगंबर हजरत मोहम्मद के साथ-साथ अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक मिर्जा गुलाम अहमद को भी मानते हैं। इसी मान्यता के चलते पारंपरिक इस्लामी समुदाय अहमदियों को इस्लाम धर्म का अनुयायी नहीं मानते। पाकिस्तान उन्हें आधिकारिक रूप से गैर-मुस्लिम करार दिया गया है। इसके लिए साल 1974 में पाकिस्तान की संसद प्रस्ताव भी पास हुआ था। 

दक्षिण एशिया के साथ ही अहमदी कई देशों में फैले हैं। इनकी सबसे अधिक संख्या पाकिस्तान में है। पहले पंजाब के रबवाह शहर में वैश्विक मुख्यालय मुख्यालय हुआ करता था। हालांकि, अब इसका इंग्लैंड से ऑपरेट किया जाता है। पाकिस्तान के बाद सबसे ज्यादा अहमदी मुसलमान नाइजीरिया में रहते हैं। इसके बाद भारत में इनकी आबादी सबसे अधिक है। वहीं जर्मनी, तंजानिया, केन्या में भी अहमदी समुदाय के लोग रहते हैं। इनके खिलाफ सबसे ज्यादा अत्याचार के मामले पाकिस्तान से आते रहे हैं।

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