-आबादी में बढ़ोतरी के बावजूद प्रजनन में आई कई समस्या
नई दिल्ली (ईएमएस)। दुनिया भर में पिछले 50 सालों में मर्दों की शुक्राणुओं की संख्या में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। इसके अलावा उसकी क्वालिटी में भी गिरावट तेज हो रही है। कई लोग इसके लिए प्लास्टिक और आग प्रतिरोधी फर्नीचर को जिम्मेदार ठहराते हैं। मर्दों की कमजोर होती प्रजनन क्षमता और जननांग विकृति पुरुषों के स्वास्थ्य संकट को सामने लाती है। भले ही धरती पर मानव आबादी में बढ़ोतरी जारी है और ये 8 अरब तक पहुंच गई है फिर भी मर्दों की प्रजनन प्रणाली में कई समस्याएं हैं। इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके कारण मानवता विलुप्त होने वाली नहीं है। दो बड़ी स्टडीज के खुलासों के मुताबिक मर्दों में स्पर्म की संख्या तेजी से गिरती जा रही है।
आमतौर पर पिछले 46 वर्षों में मर्दों के स्पर्म में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई है।इसके साथ ही टेस्टोस्टेरोन सांद्रता और शुक्राणु की गुणवत्ता भी लगातार गिर रही है। एक रिसर्च स्टडी में पश्चिमी देशों में मर्दों के में शुक्राणुओं की गिरावट को दर्ज किया गया था।जबकि मंगलवार को प्रकाशित ऑक्सफोर्ड जर्नल ह्यूमन रिप्रोडक्शन अपडेट में एक नए शोध में इसकी पुष्टि की गई है। नए रिसर्च को अमेरिका के हिब्रू विश्वविद्यालय के साइंटिस्टों के नेतृत्व में किया गया है।इसमें डेनमार्क ब्राजील स्पेन इजरायल के साइंटिस्टों का एक अंतर्राष्ट्रीय दल शामिल था।
2017 में पहले बड़े शोध अध्ययन में 1981 से 2013 के आंकड़ों के आधार पर उत्तरी अमेरिका यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में मर्दों में शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट की सूचना दी गई थी।उसी टीम के एक नए रिसर्च पेपर में लैटिन अमेरिका एशिया और अफ्रीका में 53 और देशों को शामिल किया गया है।ये रिसर्च 2018 तक के आंकड़ों पर आधारित है।दूसरे शब्दों में अब पूरी दुनिया में हुई जांच में पाया जा चुका है कि हर जगह मर्दों के शुक्राणुओं की संख्या घट रही है।