
देश में बीते एक-दो महीने से पेट्रोल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिसने आम आदमी की कमर को तोड़ के रख दिया है. हर रोज देश में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को देख विपक्षी पार्टी भी बीजेपी को लगातार निशाना बना रही है. वर्तमान में पेट्रोल का दाम 90 के आंकड़े को पार कर गया है. वहीं कई जगह ये 100 के आंकड़े को छूने पर है. जिससे निजी वाहन चलाने वाले आम आदमी की जेब ढीली होने लगी है. तो वहीं इसी बीच कल बढ़ते दामों को लेकर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्तराज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने बयान देकर साफ कर दिया हैं.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए कहा कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर जीसएसटी काउंसिल की तरफ से अभी तरह का सुझाव नहीं मिला है. वित्तमंत्री का कहना है कि उचित समय पर इस प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा. वहीं पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को कम करने को लेकर वित्तराज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस पर मिल कर विचार कर रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स को लेकर जल्दी ही कोई फैसला किया जाएगा.
इससे पहले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि वे लगातार जीएसटी काउंसिल से आग्रह किया जा रहा है कि पेट्रोल पदार्थों को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाए ताकि आम लोगों को राहत मिल सके. पेट्रोलियम मंत्री ने कहा था कि उनकी मांग को मानना काउंसिल पर निर्भर करता है और उन्हें ही इससे जुड़ा फैसला लेना है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़े हैं और जल्दी इसमें गिरावट देखी जाएगी. प्रधान के मुताबिक, कोरोना महामारी के समय कच्चे तेल की कीमतें गिरी थीं लेकिन अब बाजार खुलने से कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी एक बार फिर देखने को मिल रही है.
दरअसल, देश में हर रोज बढ़ती पेट्रोल और डीजल की कीमतों से केंद्र और राज्य सरकार की कमाई बढ़ी है लेकिन बढ़ते दामों से आम लोगों की जेब खाली होने लगी है. इसीलिए कई समय से पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने पर चर्चा की जा रही थी.