डोईवाला। पेट की आग जीवन को भी जोखिम में डाल देती है, पर इसको बुझाने के लिए लोग सारे जतन करते हैं। 14 साल की निशा अपने भाई के साथ गांव-गांव जाकर रस्सी पर चलने का करतब दिखाती है, उसके सहयोगी के रूप में उसका भाई रोशन नट भी उसके साथ है, जरा सी चूक जहां बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है, वहीं निशा के इस जोखिम को उठाने के पीछे अपना व परिवार का पेट पालना है। बकौल निशा का कहना है, साहब पढ़ी लिखी तो हूं नहीं माँ-बाप ने जो सिखाया है, उसी से जिदंगी चल रही है। लोगों की अपने करतब के प्रति बेरुखी से वो खासी निराश दिखाई पड़ी, उसका कहना है, कि अब न तो लोगों के पास खेल देखने का समय है, और न ही करतब दिखाकर कुछ ज्यादा मिल पाता है। बहरहाल जिंदगी की जद्दोजहद में निशा जैसी लड़कियों को अपनी जान जोखिम में डालकर दो जून रोटी का जुगाड़ करना पड़ रहा है।
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