प्रदेश में बदली शासन व्यवस्था और मुकदमों की मजबूत पैरवी से मुख्तार का आपराधिक साम्राज्य बिखरा

मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने आत्मसमर्पण किया तो जेल की कोठरी ही बना घर

वाराणसी, (हि.स.)। ‘देख दिनन का फेर’ कहावत पूर्वांचल के दुर्दांत माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी पर सटीक बैठती है। 26 साल से अधिक के अपराधिक और सियासी सफर में मुख्तार अंसारी और उसके परिवार की एक समय पूरे पूर्वांचल में तूती बोलती थी।

समाजवादी पार्टी और बसपा के शासन काल में 786 नंबर की गाड़ियों के काफिले में चलने वाले मुख्तार अंसारी का वरदहस्त पाने के लिए न केवल छुटभैये बल्कि तब के दुर्दांत गैंगेस्टर और जनप्रतिनिधि लालायित रहते थे। मुख्तार के घर ‘बड़का फाटक’ में दरबार सजता था। तब के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक उसके दरवाजे पर सैल्यूट मारने जाते थे। मुख्तार के सियासी रसूख और धनबल के चलते थाना प्रभारी और पुलिस कर्मी उसके हर आदेश का पालन करते थे।

उल्लेखनीय है कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के अलग-अलग थानों में 61 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें आठ मुकदमे ऐसे हैं, जेल में रहने के दौरान दर्ज हुए थे। ज्यादातर मामले हत्या से संबंधित हैं।

मऊ दंगे में मुख्तार का सियासी रसूख दिखा था। वर्ष 2005 में मऊ दंगे में वहां पहली बार रेलवे संचालन बंद रहा। प्रदेश सरकार पर दबाव बनने के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्टूबर, 2005 को गाजीपुर न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था। जेल में रहने के बाद तत्कालीन सरकारों में पैठ के कारण जेल से ही वह आपराधिक साम्राज्य चलाता था।

वाराणसी के पत्रकार सुशील मिश्र बताते हैं कि वर्ष 1988 में गाजीपुर के एक हत्या के एक मामले में पहली बार मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था। लेकिन पुख्ता सबूत न मिलने पर मुख्तार इस मामले में बरी हो गया। इसके बाद मुख्तार का मऊ, वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, भदोही और आसपास के इलाके में सिक्का चलने लगा। मुख्तार के सियासी रसूख को ऐसे समझा जा सकता है। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार को बसपा से टिकट मिला तो उसने तत्कालीन भाजपा के कद्दावर नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी को जेल में रहते हुए कांटे की टक्कर दी थी।

लेकिन 2017 में प्रदेश में सत्ता बदलते ही उसका दुर्दिन शुरू हो गया। इसके बाद योगी सरकार ने माफिया के आर्थिक साम्राज्य की कमर तोड़ दी। न्यायालय में मुकदमों की मजबूत पैरवी और गवाही के दम पर मुख्तार अंसारी को 22 सितंबर 2022 से पांच जून 2023 तक पांच मामलों में सजा मिल चुकी है। अब अवधेश राय हत्याकांड में उम्रकैद की सजा मिली है।

खबरें और भी हैं...