रुद्रप्रयाग। जिले के शिक्षा महकमे में एक बड़ा सनसनीखेज खुलासा सामने आया है जिसे बाद से पूरे महकमे में हड़कंप है। मामला फर्जी तरीके बीएड डिग्री हासिल कर सरकारी सेवा पाने का है और अब जांच के लिए गठित कमेटी एसआईटी ने दस्तावेज फर्जी होने का दावा किया है और शिक्षा निदेशालय को सम्बंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही के लिए कहा है।
शनिवार सुबह से ही जिले का शिक्षा विभाग पूरी तरह गरमाया हुआ है। दरअसल रुद्रप्रयाग जनपद के विभिन्न सरकारी स्कूलों में तेरह शिक्षकों के फर्जी बीएड डिग्री हासिल कर सरकारी नियुक्ति पाने की शिकायत की गई थी।
जिसके बाद जांच के लिए गठित एसआईटी ने संबंधित सभी शिक्षकों के दस्तावेजो कि जांच की। जांच के बाद पाया गया कि 13 में से 11 ऐसे शिक्षक है जिन्होंने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विवि के नाम से बीएड की डिग्री तो लगाई लेकिन उस दौरान उपरोक्त यूनिवर्सिटी से कोई भी पढ़ाई उन्होंने नहीं की।
जांच में पाया गया कि सभी 11 शिक्षकों ने जो डिग्री सरकारी नियुक्ति के लिए प्रस्तुत की वह फर्जी थी और खुद ही उनके द्वारा प्रथम और दुतीय श्रेणी अंकित की गई।
उपरोक्त शिक्षकों ने 1994 से 2005 तक विभिन्न वर्षो के अंतराल में यह फर्जी डिग्रियां बनाई और गलत तरीके से इनका उपयोग सरकारी सेवा पाने के लिए किया।
वहीं जब इस मामले में मुख्य शिक्षा अधिकारी से बात करनी चाही तो उनका फ़ोन बन्द पाया गया, जब जिला शिक्षाधिकारी एलएस दानू से जवाब मांगा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी उन्हें जानकारी नहीं है और सीईओ ही कुछ बता सकते है। इस गोलमोल जवाब मिला। इससे साफ है कि शिक्षा महकमा भी अब अपने शिक्षकों की डूबती नय्या पार लगाने के लिए अंदर खाने लीपापोती में लगा हुआ है। खैर मामला अब सबके सामने है और देखना बाकी है कि शिक्षा महकमा कब इस शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही करता है।
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