सरकार द्वारा गाँव-गाँव बिजली पहुँचाने के दावे भले ही जोर-शोर से किये जा रहे हों, लेकिन झारखंड के कई जिले अब भी बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीण इलाकाें की स्थिति और भी खस्ताहाल है. कई गांवाें में ताे अभी भी बिजली दूर का सपना ही है. ऐसा ही एक गांव है लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड के अंतर्गत आने वाला खड़िया. जंगल और पहाड़ों से घिरा. कमिल टाेपनाे नामक एक 28 वर्षीय युवक ने इस गाँव के ठकुराइन डेरा टोले को बिजली से रोशन कर दिया है. वो भी बिना किसी सरकारी मेहरबानी या मदद के.
कमिल ने बचपन से ही गांववालाें की परेशानी देखी थी. पढ़ा था कि पानी के दबाव से टरबाइन चलाकर बिजली उत्पन्न की जा सकती है. कमिल ने साइंस की इस पुरानी थ्याेरी का इस्तेमाल करने की ठानी. उन्होंने यू-ट्यूब पर वीडियो देख-देखकर साल 2014 में मिनी हाइडल पावर जेनरेटर बनाने का प्राेजेक्ट शुरू किया. सबसे पहले उन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ गांव के पास कच्चा बांध बनाया और ऑयरा झरिया नदी का पानी राेका.
फिर गांव में करीब 100 फीट का गड्ढा बनाया. सिंचाई में प्रयुक्त होने वाले पाइप के जरिये नदी का पानी 1500 मीटर दूर इस गड्ढे तक पहुंचाया. उन्होंने गड्ढे में टरबाइन और पंखा लगा रखा था, जाे पानी के दबाव से घूमने लगा और बिजली पैदा हाेने लगी. यहां से तार के जरिए टाेले में बिजली पहुंचाई गई. इस पूरे प्राेजेक्ट पर 5 साल का परिश्रम और 12 हजार रुपए का खर्च आया. अब यहाँ 2500 वाॅट बिजली का उत्पादन हाे रहा है.
इससे हर घर तो रोशन है ही, लोगों के मोबाइल भी चार्ज हो रहे हैं. साथ-साथ बिजली के उपकरण जैसे ड्रिलर, वाटर हीटर भी प्रयोग में लाए जा सकते हैं. बिजली के साथ पानी भी घर और खेतों तक पहुंच रहा है. जंगल-पहाड़ों में झोपड़ियों में गुजर-बसर करने वाले परिवार बिजली के बल्ब जलाकर बड़े खुश हैं. आपको याद दिला दें, 2004 में आई फिल्म स्वदेस में शाहरुख खान भी कुछ ऐसा ही करते हैं और पानी से बिजली तैयार कर गांव वालों को बिजली की समस्या से छुटकारा दिलाते हैं. अब कमिल टोपनो ने यह सचमुच कर दिखाया है.